न्यायाधीश ने कहा कि वैधानिक शर्तों के पूरा होने पर स्वदेशी संपत्तियों को अधिग्रहण से कोई छूट प्राप्त नहीं है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली वक्फ बोर्ड की उस याचिका पर नयी दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) और पुलिस को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा जिसमें सुनहरी बाग रोड चौराहे पर स्थित 150 साल पुरानी मस्जिद को गिराये जाने की आशंका जताई गई है।
अदालत ने पक्षकारों को संयुक्त रूप से स्थल का निरीक्षण करने के लिए कहा। न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने उस याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें एनडीएमसी को मस्जिद को कोई नुकसान पहुंचाने से रोकने का अनुरोध किया गया है। न्यायाधीश ने कहा कि वैधानिक शर्तों के पूरा होने पर स्वदेशी संपत्तियों को अधिग्रहण से कोई छूट प्राप्त नहीं है।
अदालत ने कहा-
‘‘ नोटिस जारी किया गया है। पक्षकारों को निर्देश दिया जाता है कि 12 जुलाई, 2023 को अपराह्न तीन बजे संयुक्त रूप से निरीक्षण करें और जरूरत पड़ने पर आगे भी निरीक्षण कर सकते हैं। एनडीएमसी को स्वतंत्रता है कि वह किसी अन्य प्राधिकरण को भी निरीक्षण का नोटिस दे।’’
समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार आदेश में कहा गया कि प्रतिवादी याचिका पर अपना जवाब और जरूरी रिकॉर्ड दो हफ्ते में दायर करेंगे और संयुक्त निरीक्षण की रिपोर्ट भी पेश की जाएगी।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता वजीह शफीक ने कहा कि सरकार ने यातायात पुलिस के पत्र के आधार पर बिना उनकी उपस्थिति के एक निरीक्षण किया जिसमें मस्जिद स्थल पर बढ़ते यातायात से संबंधित मुद्दों के मद्देनजर एनडीएमसी से सुनहरी बाग चौराहे को फिर से डिजाइन करने की व्यावहारिकता की जांच करने के लिए कहा गया है।
वकील ने कहा कि क्षेत्र में अधिक यातायात और भीड़भाड़ का कारण मस्जिद नहीं है। याचिका में कहा गया है कि यह मस्जिद कम से कम 150 साल पुरानी है जो लोगों में काफी लोकप्रिय है।