लखनऊ उच्च न्यायालय में भारतीय भाषा आंदोलन द्वारा मनाया गया हिंदी दिवस-

लखनऊ उच्च न्यायालय में भारतीय भाषा आंदोलन द्वारा मनाया गया हिंदी दिवस-

लखनऊ : हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आज मंगलवार दिनांक 14 सितंबर 2021 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ बेंच में भारतीय भाषा आंदोलन लखनऊ इकाई का आयोजन किया गया।

लखनऊ उच्च न्यायालय में भारतीय भाषा आंदोलन (लखनऊ इकाई) द्वारा इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उच्च न्यायालय लखनऊ के माननीय न्यायमूर्ति देवेंद्र उपाध्याय जी रहें तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में उच्च न्यायालय लखनऊ के माननीय न्यायमूर्ति ए आर मसूदी रहें।

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इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में माननीय न्यायमूर्ति अशोक कुमार जी अध्यक्ष राज्य उपभोक्ता आयोग उत्तर प्रदेश का व्याख्यान हुआ। आप ने अपने व्याख्यान में बताया कि जब भी कोई जन्म के बाद बोलता है तो वो शब्द है माँ। आप ने बताया कि हिन्दी भाषा का मूल उद्गम संस्कृत है लेकिन वर्तमान में संस्कृत भाषी बहुत कम हैं। आप ने कहा कि अब न्यायालय में हिंदी भाषा में काम होने की आवश्यकता है जो कि वादकारियों के हित में होगा।

जानकारी हो कि गत दिवस पूर्व इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव जी ने हिंदी भाषा में निर्णय दे कर हिंदी भाषा को गौरवान्वित किया।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना से हुआ। अधिवक्ता प्रभात ने भोजपुरी में सरस्वती वंदना किया।

कार्यक्रम में उच्च न्यायालय में हिन्दी भाषा में कार्य कर रहे अधिवक्ताओं को भी सम्मानित किया गया।

विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति ए आर मसूदी जी ने कहा कि भाषा की गरिमा उसके खामोशी और गहराई से जाना जाता है और वो है हिन्दी। आप ने कहा कि हिन्दी भाषा में आप बहुत कुछ व्यक्त कर सकते हैं इस भाषा का शब्दकोश कभी भी कम नहीं पड़ सकता।

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मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति देवेन्द्र उपाध्याय जी ने बताया कि अनुच्छेद 348 (2) के अंतर्गत राज्पाल उत्तर प्रदेश ने पूर्व में ही एक अधिसूचना जारी कर उच्च न्यायालय में हिन्दी भाषा में कार्य करने की स्वतंत्रता दी है, अतः अधिवक्ताओ को सहजता से हिन्दी में कार्य करना चाहिए। आप ने कहा कि अधिवक्ताओं को हीन भावना को छोड़ कर गर्व से हिन्दी भाषा में कार्य करना चाहिए तब ही हिंदी भाषा का गौरव बढ़ेगा। हिंदी के विकास के लिए आप को हिंदी अपनानी होगी और उस पर गर्व भी करना होगा।

भारतीय भाषा आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अरुण भारद्वाज जी भी उपस्थित रहे। आप ने बताया कि संविधान में अनुच्छेद 120 में बताया गया कि सदन में तीन भाषाओं में बोल सकते हैं जिसमें हिंदी इंग्लिश और अपनी मातृ भाषा। इसमें से इंग्लिश को सिर्फ 1965 तक के लिए मान्यता थी। अनुच्छेद 210 में विधानसभा में भी यहीं स्वरूप है। अनुच्छेद 348 में न्याय पालिका के लिए भाषा को बताया गया जो कि इंग्लिश हैं ऐसा क्यों ये सोचनीय है। अनुच्छेद 348 में इंग्लिश भाषा कही न कही त्रुटि प्रद है।

भारतीय भाषा आंदोलन के राष्ट्रीय मंत्री अधिवक्ता श्री हर गोबिन्द उपाध्याय ने अपने चीर परिचित अन्दाज में अति रोचक उदबोधन से कार्यक्रम की शुरुआत की।

कार्यक्रम का संचालन अधिवक्ता डॉ संजय सिंह ने अति उत्तम प्रकार से किया।

अंत में कार्यक्रम में उपस्थित सभी श्रेष्ठ श्रीमान जनों का अध्यक्ष लखनऊ इकाई अधिवक्ता श्रवण कुमार जी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि अब हम सभी को हिंदी भाषा का गौरव बढ़ाना चाहिए।

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