दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने 2018 में यूट्यूबर ध्रुव राठी द्वारा प्रसारित एक कथित मानहानिकारक वीडियो को रीट्वीट करके गलती की थी।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने बयान के बाद शिकायतकर्ता से जानना चाहा कि क्या वह मुख्यमंत्री की माफी और बयान के मद्देनजर मामले को बंद करना चाहते हैं।
अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केजरीवाल द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी नहीं किया, जिसने आपराधिक मानहानि मामले में आरोपी के रूप में उन्हें जारी किए गए समन को बरकरार रखा था।
उच्च न्यायालय ने 5 फरवरी, 2024 को कहा था कि कथित अपमानजनक सामग्री को दोबारा पोस्ट करने पर मानहानि कानून लागू होगा।
कार्यवाही के दौरान केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा, ‘मैं इतना कह सकता हूं कि मैंने रिट्वीट करके गलती की है।’
उनके बयान के मद्देनजर पीठ ने निचली अदालत से केजरीवाल से जुड़े मानहानि मामले की सुनवाई 11 मार्च तक नहीं करने को भी कहा।
पीठ ने कहा, ”अंतरिम तौर पर निचली अदालत इस मामले पर सुनवाई नहीं करेगी।”
उच्च न्यायालय ने कहा था कि जिस सामग्री के बारे में किसी को जानकारी नहीं है, उसे रीट्वीट करते समय जिम्मेदारी की भावना जुड़ी होनी चाहिए। केजरीवाल ने उच्च न्यायालय में कहा था कि निचली अदालत इस बात को समझने में विफल रही कि उनके ट्वीट का उद्देश्य शिकायतकर्ता विकास सांकृत्यायन को नुकसान पहुंचाना नहीं था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि मानहानिकारक सामग्री को रीट्वीट करने पर दंडात्मक, नागरिक के साथ-साथ अपकृत्य कार्रवाई भी होनी चाहिए, यदि रीट्वीट करने वाला व्यक्ति अस्वीकरण संलग्न नहीं करता है।
केजरीवाल ने उच्च न्यायालय के समक्ष दावा किया था कि निचली अदालत ने समन जारी करने का कोई कारण नहीं बताकर गलती की है। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि ‘बीजेपी आईटी सेल पार्ट II’ शीर्षक वाला यूट्यूब वीडियो जर्मनी में रहने वाले राठी द्वारा प्रसारित किया गया था, जिसमें कई झूठे और अपमानजनक आरोप लगाए गए थे।