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सार्वजानिक स्थान पर अगर कोई इश्तिहार लगाकर बदनाम करे तो कितने साल की सजा होगी, जाने विस्तार से

जब भी कभी दो लोगों के बीच आपसी रंजिश इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि बदले की भावना से एक दूसरे को अपमानित करने लग जाते हैं और ऐसा करने के लिए लोग कुछ भी करने को उतारू हो जाते हैं। कई बार तो कुछ ऐसा काम कर देते हैं कि जो अपराध की कैटेगरी में आ जाता है । किसी के नाम से कुछ ऐसा पब्लिश करवा देना जिससे उसकी मान सम्मान प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचे । इसके बारे में आगे बात करेंगे भारतीय दंड संहिता 1860 (INDIAN PENAL CODE 1860) क्या कहती है इसके बारे में । और क्या यह कोई नार्मल एक्ट होता है य इसके लिए कोई कानूनी कदम उठाया जा सकता है आइए जानते हैं |

Ipc Section 501-

अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर कोई ऐसी बात प्रकाशित करवाता है जिससे किसी की मान सम्मान य प्रतिष्ठा खराब होती है । जबकि वह यह जानता है कि उसका यह काम दूसरे के मानहानि करेगा तो वह धारा 501 का अपराध करता है । उसे इस सेक्शन के तहत 2 साल की सजा व आर्थिक दंड दिया जा सकता है । यह एक जमानती अपराध होता है और असंज्ञेय अपराध है। इसकी सुनवाई का अधिकार सत्र न्यायालय के पास होता है ।

IPC Section 502-

Section 501 आईपीसी कहता है किसी की मानहानि करने वाली बातों को पब्लिश करना उसी तरह से आईपीसी का सेक्शन 502 यह कहता है कि इस तरह की मानहानि या अपमान करने वाले प्रचार को अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर बेचता है, तो सामने वाले व्यक्ति की मानहानि और मान प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचेगी । तब भी वह ऐसा कार्य करता है तो उस व्यक्ति को इस धारा 502 के अंतर्गत 2 साल की सजा और आर्थिक जुर्माना से दंडित किया जाएगा । यह एक जमानती अपराध है और असंज्ञेय अपराध है । इसकी सुनवाई का अधिकार फर्स्ट ग्रेड मजिस्ट्रेट को होता है और इसमें समझौता भी किया जा सकता है ।

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तो इस तरह से अगर कोई व्यक्ति इस त्यौहार के द्वारा या पब्लिकेशन के द्वारा समाज में किसी को बदनाम करने की कोशिश करता है तो यह धाराएं आईपीसी की धारा 501 और 502 में उस व्यक्ति के लिए सजा का प्रावधान किया गया है ।

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