ऐतिहासिक भोजशाला मामले में ASI ने MP हाईकोर्ट में सौंपी 2000 पेज की रिपोर्ट, दावा- 94 टूटी प्रतिमाएं मिलना मंदिर होने का सबूत

  • भोजशाला में एएसआई ने लगातार 98 दिन किया था सर्वे, रिपोर्ट 2000 से ज्यादा पन्नों में
  • हिंदू पक्ष का दावा- इमारत परमारकालीन
  • 94 से ज्यादा क्षतिग्रस्त मूर्तियां बरामद की गई

मध्य प्रदेश के धार जिला मुख्यालय स्थित ऐतिहासिक भोजशाला मामले में लगातार 98 दिन तक चले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वे की रिपोर्ट मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में प्रस्तुत की गई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के वकील हिमांशु जोशी ने सोमवार को रिपोर्ट इंदौर हाई कोर्ट में पेश की। यह रिपोर्ट मीडिया से शेयर नहीं करने के निर्देश सभी पक्षों को दिए गए हैं। पता चला है कि यह रिपोर्ट 2000 से ज्यादा पन्नों में है। सर्वे और खुदाई के दौरान मिले 1700 से ज्यादा प्रमाण-अवशेष इस रिपोर्ट में शामिल किए गए हैं।

एएसआई के वकील हिमांशु जोशी ने बताया कि अत्याधुनिक तकनीक से की गई विज्ञानी सर्वे की रिपोर्ट पेश कर दी है। उनका कहना है कि रिपोर्ट दो हजार पेज की है। इससे ज्यादा कुछ नहीं बता सकते। इस रिपोर्ट में 98 दिन चले सर्वे में एकत्रित किए 1700 से ज्यादा प्रमाण और खुदाई में मिले अवशेषों का विश्लेषण शामिल किया गया है। दावा किया जा रहा है कि यहां 94 से ज्यादा क्षतिग्रस्त मूर्तियां बरामद की गई हैं। इस रिपोर्ट की एक-एक प्रति मामले से जुड़े सभी पक्षकारों को उपलब्ध करवाई गई है। इसके बावजूद रिपोर्ट में क्या है, यह अब तक रहस्य बना हुआ है। इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद ही पता चलेगा कि धार भोजशाला मंदिर है या मस्जिद।

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हिंदू पक्ष का दावा – सर्वे में मिली प्राचीन मूर्तिंयां

ASI के वकील हिमांशु जोशी ने रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने की पुष्टि करते हुए बताया कि अत्याधुनिक तकनीक से किए गए विज्ञानी सर्वे की रिपोर्ट पेश कर दी है। इधर, हिंदू पक्ष के लोग दावा कर रहे हैं कि जो सर्वे रिपोर्ट पेश हुई है, उससे साफ हो जाएगा कि इसे राजा भोज ने बनाया था। हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने दावा किया कि जो सर्वे हमारे सामने हुआ था, उस आधार पर हम कह रहे हैं कि यह इमारत राजा भोज के काल की ही साबित होगी, जिसे वर्ष 1034 में बनाया गया था। एएसआई को इस सर्वे में कई प्राचीन मूर्तियां मिली हैं, जो परमारकालीन हो सकती हैं। इस तरह ये परमारकालीन इमारत है। उन्होंने कहा कि सर्वे के दौरान सामने आए अवशेषों से लगभग तय माना जा रहा है कि यह परमारकालीन यानी 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच का निर्माण है। इस बीच, गर्भगृह के पास 27 फीट लंबी दीवार भी मिली है, जो ईंटों से बनी है। पुरातत्वविदों का मानना है कि ईंटों से निर्माण और भी प्राचीन समय में होता था। मोहन जोदड़ो सभ्यता के समय, यानी यह स्थान और भी प्राचीन हो सकता है।

हिंदू फॉर जस्टिस ने दायर की थी याचिका-

गौरतलब है कि भोजशाला को लेकर दशकों से विवाद चल रहा है। हिंदू फॉर जस्टिस ने एक वर्ष पहले मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के समक्ष एक याचिका दायर कर भोजशाला परिसर में शुक्रवार को होने वाली नमाज रोकने की गुहार लगाई थी। याचिकाकर्ता का कहना है कि हिंदू लोग मंगलवार को भोजशाला में पूजा करते हैं और मुस्लिम लोग शुक्रवार को वहां नमाज कर उसे अपवित्र कर देते हैं। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान 11 मार्च 2024 को आदेश दिया था कि एएसआई भोजशाला का विज्ञानी सर्वे कर रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करे। यह सर्वे 98 दिन चला।

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जिला प्रशासन की वेबसाइट के अनुसार भोजशाला राजा भोज ने बनवाई थी। यह यूनिवर्सिटी थी, जिसमें वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। मुस्लिम शासक ने इसे मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था। इसके अवशेष प्रसिद्ध मौलाना कमालुद्दीन मस्जिद में देखे जा सकते हैं। यह भोजशाला के कैंपस में स्थित है जबकि देवी की प्रतिमा लंदन के म्यूजियम में रखी है। साल 2006, 2012 और 2016 में शुक्रवार को वसंत पंचमी आई तो विवाद की स्थिति बनी। वसंत पंचमी पर हिंदू पक्ष को पूजा जबकि शुक्रवार होने से मुस्लिमों को नमाज की अनुमति भी है। ऐसे में वसंत पंचमी शुक्रवार को आने पर समझाैते के बीच पूजा और नमाज दोनों करवाए जाते हैं।

अब कोर्ट इस पर 22 जुलाई को होने वाली सुनवाई में विचार करेगी। हालांकि हिंदू पक्ष के लोग दावा कर रहे हैं किे जो सर्वे पेश हुआ है, उससे साफ हो जाएगा कि इसे राजा भोज ने बनाया था। सर्वे में कई प्राचीन मूर्तियां मिलने की बात भी हिंदू पक्ष ने कही है।

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