Delhi High Court

Income Tax Reassessment Case: ‘कांग्रेस ने 520 करोड़ रूपये से अधिक की आय छुपाई’: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने दिल्ली उच्च न्यायलय को बताया

कांग्रेस ने आयकर विभाग द्वारा साल 2014-15, 2014-16, 2016-17 के टैक्स रिअसेसमेंट को चुनौती दिया गया था. कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा है.

Tax Reassessment Case: दिल्ली हाईकोर्ट गुरूवार (20 मार्च, 2024) के दिन कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई के बाद अपने फैसले को सुरक्षित रखा है. याचिका में कांग्रेस ने आयकर विभाग द्वारा टैक्स रिअसेसमेंट के फैसले को चुनौती दिया है. कांग्रेस की याचिका में साल 2014-15, 2015-16 और 2016-2017 के टैक्स रिअसेसमेंट के फैसले को चुनौती दी गई है. बता दें कि कांग्रेस द्वारा दिए पिछले सात सालों के टैक्स का रिअसेसमेंट होना है.

दिल्ली हाईकोर्ट में हुई सुनवाई-

इंडियन नेशनल कांग्रेस (INC) की याचिका को जस्टिस यशवंत वर्मा और पुरूषेन्द्र कुमार कौरव की डिवीजन बेंच ने सुना. सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कांग्रेस पार्टी की ओर से पेश हुए. वहीं, एडवोकेट जोहेब हुसैन ने आयकर विभाग का पक्ष रखा.

IT Department ने खारिज किया आरोप-

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कांग्रेस पक्ष रखते हुए यह बात कही. पार्टी के टैक्स का रिअसेसमेंट करना आयकर अधिनियम का उल्लंघन दर्शाता है.

आयकर विभाग की ओर से पेश हुए वकील जोहेब हुसैन ने कहा. मामले में किसी भी वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं किया गया है. वहीं, कांग्रेस ने द्वारा बताई गई आय, असल में उससे 520 करोड़ रूपये अधिक है. कांग्रेस के खिलाफ पिछले सात सालों में दिए गए टैक्स की दोबारा से जांच की जा रही हैं. कांग्रेस ने पिछले तीन सालों के टैक्स रिअसेसमेंट को चुनौती दी है. वहीं, पिछले चार सालों के टैक्स की टैक्स रिअसेसमेंट करने के फैसले को चुनौती देनेवाली याचिका पर अभी सुनवाई नहीं हुई है. इसमें 21 मार्च के दिन सुनवाई होगी.

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आईटी विभाग ने 210 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया-

हाल ही में कांग्रेस ने आयकर विभाग के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में आयकर विभाग द्वारा पार्टी के बैंक खाते को जब्त करने और 210 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की मांग की गई है. हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया. हम आपको बताना चाहेंगे कि आयकर विभाग ने यह कार्रवाई कांग्रेस पार्टी द्वारा 105 करोड़ रुपये का टैक्स न चुकाने के कारण की है.

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