जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय ने “पाकिस्तानी नागरिक” कहकर निर्वासन की कार्रवाई पर लगाई रोक, IRP कांस्टेबल समेत चार याचिकाकर्ताओं को राहत

जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय ने "पाकिस्तानी नागरिक" कहकर निर्वासन की कार्रवाई पर लगाई रोक, IRP कांस्टेबल समेत चार याचिकाकर्ताओं को राहत

जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय ने “पाकिस्तानी नागरिक” कहकर निर्वासन की कार्रवाई पर लगाई रोक, IRP कांस्टेबल समेत चार याचिकाकर्ताओं को राहत
[इफ्तखार अली व अन्य बनाम भारत संघ]

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश में भारतीय रिजर्व पुलिस (IRP) में कार्यरत कांस्टेबल इफ्तखार अली समेत एक ही परिवार के चार सदस्यों के निर्वासन पर अंतरिम रोक लगा दी है। इन सभी पर पाकिस्तानी नागरिक होने का आरोप है और उन्हें भारत से निकाले जाने की आशंका थी।

यह फैसला उस पृष्ठभूमि में आया है जब 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का निर्देश देते हुए वीजा सेवाएं स्थगित कर दी थीं। गृह मंत्रालय ने ऐसे सभी नागरिकों को 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने के लिए कहा था।

याचिका और तर्क

चारों याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर आशंका जताई कि उन्हें भी पाकिस्तानी नागरिक बताकर जबरन भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया जा सकता है, जबकि वे स्वयं को जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के सलवाह गांव का निवासी बताते हैं।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि वे दशकों से भारत में रह रहे हैं, उनके नाम 2014 से भूमि राजस्व अभिलेखों में दर्ज हैं, और वे स्थानीय समाज में पूर्ण रूप से समाहित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि परिवार के एक सदस्य, इफ्तखार अली, IRP में कांस्टेबल के रूप में सेवारत हैं।

न्यायालय की अंतरिम राहत

29 अप्रैल 2025 को न्यायमूर्ति राहुल भारती की एकलपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि:

“राजस्व रिकॉर्ड, पुलिस सेवा विवरण एवं अन्य साक्ष्य यह संकेत करते हैं कि याचिकाकर्ताओं का पक्ष प्रथम दृष्टया स्वीकार करने योग्य है।”

अतः अदालत ने निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ताओं को जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश छोड़ने के लिए न तो कहा जाएगा, न ही उन्हें इसके लिए बाध्य किया जाएगा। साथ ही, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह अंतरिम आदेश सरकारी पक्ष की आपत्तियों के अधीन रहेगा।

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प्रशासनिक निर्देश

अदालत ने पुंछ के उपायुक्त को निर्देश दिया है कि वे याचिकाकर्ताओं की भूमि की स्थिति और उनके गांव से संबंधित विस्तृत हलफनामा न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें।
साथ ही, प्रतिवादी प्राधिकरणों को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

अगली सुनवाई

मामले की अगली सुनवाई 20 मई 2025 को निर्धारित की गई है।

पक्षकार

  • याचिकाकर्ताओं की ओर से: अधिवक्ता मोहम्मद लतीफ मलिक
  • भारत सरकार की ओर से: वरिष्ठ उप-सॉलिसिटर जनरल विशाल शर्मा
  • जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से: वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता मोनिका कोहली

न्यायालय का यह आदेश एक संवेदनशील और मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाता है, जहां नागरिकों की पहचान, सेवा रिकॉर्ड और स्थानीय जुड़ाव को महत्त्व देते हुए निर्वासन जैसे कठोर कदम पर न्यायिक रोक लगाई गई है।

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