राउज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व बिहार मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, सरकारी अधिकारियों सहित 78 आरोपियों के खिलाफ दाखिल अंतिम आरोप पत्र (चार्जशीट) पर संज्ञान लेने के आदेश को सुरक्षित रख लिया। अदालत इस पर अपना आदेश 25 फरवरी को सुनाएगी।
मामले का विवरण
इस घोटाले में कुल 78 आरोपी शामिल हैं, जिनमें 30 सरकारी अधिकारी हैं, जिनमें पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव भी शामिल हैं।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने अदालत को सूचित किया कि सभी आरोपियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति प्राप्त कर ली गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता डी.पी. सिंह ने CBI की ओर से अदालत में प्रस्तुत होकर बताया कि अभियोजन के लिए 30 सामान्य गवाहों की सूची तैयार की गई है।
CBI ने कहा कि सभी आरोप पत्रों में अपराध समान हैं, इसलिए सभी मामलों को एक साथ चलाया जाना चाहिए।
CBI की कार्रवाई और आरोप
CBI ने पहले ही इस घोटाले में शामिल पूर्व सरकारी अधिकारियों, जिनमें रेलवे बोर्ड के तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारी आर. के. महाजन भी शामिल हैं, के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति प्राप्त कर ली है। महाजन उस समय रेलवे बोर्ड में उच्च पद पर थे, जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे।
पिछले वर्ष 20 सितंबर को CBI ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति दायर की थी। इससे पहले, 7 जून 2023 को CBI ने लालू प्रसाद यादव और अन्य 77 आरोपियों के खिलाफ अंतिम चार्जशीट दाखिल की थी।
आरोपियों में 38 उम्मीदवार भी शामिल हैं। 29 मई 2023 को अदालत ने CBI को भूमि के बदले नौकरी मामले में अंतिम चार्जशीट दाखिल करने का निर्देश दिया था और समय देने के बावजूद चार्जशीट दाखिल न करने पर नाराजगी जताई थी।
4 अक्टूबर 2023 को अदालत ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी और अन्य को इस कथित घोटाले के एक पूर्व चार्जशीट मामले में जमानत दी थी।
CBI के अनुसार, दूसरी चार्जशीट 17 आरोपियों के खिलाफ दाखिल की गई है, जिसमें तत्कालीन रेल मंत्री, उनकी पत्नी, बेटा, पश्चिम मध्य रेलवे (WCR) के तत्कालीन महाप्रबंधक, दो CPO, निजी व्यक्तियों और एक निजी कंपनी को आरोपी बनाया गया है।
घोटाले के आरोप
CBI ने यह मामला 18 मई 2022 को दर्ज किया था। आरोप है कि वर्ष 2004 से 2009 के बीच तत्कालीन रेल मंत्री ने अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर संपत्तियों का हस्तांतरण करवाकर रेलवे के ग्रुप ‘D’ पदों पर भर्ती के बदले आर्थिक लाभ प्राप्त किया।
CBI के अनुसार, इन भर्तियों के लिए कोई सार्वजनिक विज्ञापन या नोटिस जारी नहीं किया गया था, फिर भी पटना के निवासी उम्मीदवारों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर स्थित रेलवे जोन में नौकरी दी गई।
इसके अलावा, यह भी आरोप है कि इन उम्मीदवारों या उनके परिवारजनों ने पटना में स्थित अपनी जमीनें मंत्री के परिवार के सदस्यों और उनके द्वारा नियंत्रित एक निजी कंपनी को बेचीं या गिफ्ट कर दीं।
CBI ने दिल्ली और बिहार सहित कई स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया और इस घोटाले से जुड़े महत्वपूर्ण सबूत जुटाए।
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