केंद्र सरकार ने बुधवार को कर्नाटक हाईकोर्ट को बताया कि उसने राज्य में मां के दूध के व्यावसायीकरण के लिए जारी लाइसेंस रद्द करने के निर्देश दिए हैं। यह लाइसेंस निजी कंपनियों को मां का दूध एकत्र करने, प्रसंस्करण करने और व्यावसायीकरण की अनुमति देता है।
केंद्र सरकार ने बुधवार को कर्नाटक हाई कोर्ट को बताया कि ब्रेस्ट मिल्क इकट्ठा करने और उसका बिजनेस करने की अनुमति देने वाले लाइसेंस रद्द करने के निर्देश दिए गए हैं। हाई कोर्ट मुनेगौड़ा नामक व्यक्ति की जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहा था।
मुख्य न्यायाधीश एनवी अंजारिया और न्यायमूर्ति केवी अरविंद की पीठ को कर्नाटक हाई कोर्ट के लिए भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अरविंद कामथ ने बताया कि केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने हाल ही में कर्नाटक सरकार को ऐसे लाइसेंसों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिया था। राज्य सरकार ने कई लाइसेंस रद्द भी कर दिए हैं।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अरविंद कामत ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य को ऐसे सभी लाइसेंस को रद्द करने का निर्देश दिया है। कुछ कंपनियों को आयुर्वेदिक मानदंडों के तहत लाइसेंस प्राप्त हुए थे, जो ब्रेस्ट मिल्क का बिजनेस करने की अनुमति देता है। हालांकि, सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। राज्य ने कुछ लाइसेंस रद्द कर नियम का पालन किया है।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील बी. विश्वेश्वरय्या ने पैकेज्ड ब्रेस्ट मिल्क की 50 मिलीलीटर की बोतल और पाउडर ब्रेस्ट मिल्क का 10 ग्राम का पैकेट पेश किया। दोनों की बिक्री कीमत क्रमशः 1,239 रुपए और 313 रुपए बताई गई।
कामत ने बताया कि इस लाइसेंसों को पहले आयुर्वेदिक मानदंडों के तहत जारी किए गए थे, लेकिन हाल ही में इसे रद्द करने की मांग की गई।
हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस मामले में केंद्रीय मंत्रालय को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया और नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई चार (4) दिसंबर को होगी।
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