‘खालिस्तान’ की बात क्यों करते हैं, पूरा ‘हिंदुस्तान’ आपका – रक्षा मंत्री
नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सिख समाज से बंटवारे का दर्द साझा करते हुए कहा कि अगर देश के बंटवारे के समय जरा सी सावधानी बरती जाती तो करतारपुर साहिब पाकिस्तान में नहीं, बल्कि भारत में हो सकता था।
वे शुक्रवार को दिल्ली में ‘शाइनिंग सिख यूथ ऑफ इंडिया’ पुस्तक विमोचन के अवसर पर युवा सिख अचीवर्स को संबोधित कर रहे थे।इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में सिख समुदाय का बड़ा योगदान था।
जब हमें आजादी मिली और विभाजन की त्रासदी का सामना करना पड़ा, तो सिखों को विभाजन के समय काफी नुकसान उठाना पड़ा।सिख समाज का पवित्र गुरुद्वारा करतारपुर साहिब बहुत ही विशेष है। इस गुरुद्वारे में गुरु नानक देव ने अपनी जिंदगी के आखिरी 16 साल व्यतीत किये थे।
यहीं पर उन्होंने अपना शरीर भी त्यागा था, जिसके बाद यहां गुरुद्वारा बनाया गया। यह गुरुद्वारा पाकिस्तान के नारवाल जिले में है और भारत की सीमा से सिर्फ तीन किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि लाहौर से इसकी दूरी तकरीबन 120 किलोमीटर की है।पहले भारत के श्रद्धालु करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का दर्शन दूरबीन से करते थे, लेकिन बाद में भारत और पाकिस्तान के हुक्मरानों ने मिलकर एक कॉरिडोर का निर्माण कराया है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सिख समाज प्रेम और सौहार्द का सजीव उदाहरण है। जरूरत पड़ने पर सिख समाज अत्याचार और अन्याय के खिलाफ भी उठ खड़ा होता है। मैं मानता हूं कि राष्ट्र के निर्माण में सिख समाज की बहुत बड़ी भूमिका है और उस भूमिका को वर्तमान में और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
इतिहास के पन्नों को पलटकर देखना और नौजवानों को बताना चाहिए कि सिख समाज ने कितनी कुर्बानियां दी हैं और उनका इतिहास कितना गौरवशाली है।उन्होंने कहा कि सिख समुदाय अपने युवाओं को अपने समुदाय का इतिहास बताये, क्योंकि यह देश सिख समुदाय के योगदान को कभी नहीं भूलेगा।
रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि कुछ लोग ‘खालिस्तान’ की मांग करते हैं, आप ‘खालिस्तान’ की बात क्यों करते हैं, पूरा ‘हिंदुस्तान’ आपका है। हमारे देश ने पूर्व में कई मुश्किलों का सामना किया है, लेकिन सिख समाज की वजह से आज हमारी भारतीय संस्कृति बची हुई है।
इसी संदर्भ में आगे उन्होंने कहा कि सिख समुदाय का इतिहास स्वर्णिम रहा है, लेकिन परेशानी यह है कि इनमें से कई लोग इतिहास को नहीं जानते हैं। आजादी के बाद मिले बंटवारे के दंश को सहते हुए यह समाज आगे बढ़ा है।(हि.स.)।