HC – प्रेमी जोड़े की तलाश में वकील की पत्नी को बनाया था बंधक, हाईकोर्ट ने SIT को दिए जांच के आदेश

HC – प्रेमी जोड़े की तलाश में वकील की पत्नी को बनाया था बंधक, हाईकोर्ट ने SIT को दिए जांच के आदेश

इस प्रकरण में हरियाणा पुलिस ने अदालत को बताया था कि टीम के तीन सदस्यों को निलंबित किया जा चुका है। इसके बाद बताया गया कि पुलिस कमिश्नर गुरुग्राम ने सभी तथ्यों, सीसीटीवी फुटेज व बयान के आधार पर अपनी रिपोर्ट में पाया कि वकील की ओर से पुलिस टीम पर लगाए आरोप साबित नहीं होते हैं।

गुरुग्राम पुलिस द्वारा प्रेमी जोड़े की तलाश में बिना वारंट वकील के घर घुसने और उसकी पत्नी को बंधक बनाने के मामले में पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायलय ने निष्पक्ष व पारदर्शी जांच सुनिश्चित करने का पंजाब पुलिस की SIT को आदेश दिया है। इस दौरान गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर ने बताया कि विभागीय जांच में आरोपी पुलिस वालों के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए हैं।

पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायलय ने पीड़ित वकील को विभागीय जांच की रिपोर्ट को चुनौती देने की छूट देते हुए याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।

याचिका दाखिल करते हुए गुरुग्राम निवासी प्रेमी जोड़े ने सुरक्षा की मांग की थी। प्रेमी जोड़े की सुरक्षा याचिका दाखिल करने वाले वकील से गुरुग्राम पुलिस ने संपर्क किया था और हाईकोर्ट में आकर मुलाकात की थी। पुलिस टीम ने प्रेमी जोड़े का पता बताने पर 10 लाख रुपये की रिश्वत की पेशकश भी की थी। इसके बाद पुलिस टीम वकील के घर पहुंची और वकील की पत्नी को बंधक बनाकर फोन भी छीन लिया। इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई पर छापा मारने वाली टीम को याचिका में प्रतिवादी बना लिया था।

हरियाणा पुलिस ने बताया था कि टीम के तीन सदस्यों को निलंबित किया जा चुका है। इसके बाद बताया गया कि पुलिस कमिश्नर गुरुग्राम ने सभी तथ्यों, CCTV फुटेज व बयान के आधार पर अपनी रिपोर्ट में पाया कि वकील की ओर से पुलिस टीम पर लगाए आरोप साबित नहीं होते हैं। सुनवाई के दौरान पंजाब पुलिस के DSP Crime Against Woman जतिंदर पाल सिंह ने बताया कि इस मामले में नयागांव में दर्ज FIR की जांच SIT को सौंप दी गई है। SIT के प्रमुख IPS दर्पण आहलुवालिया बनाए गए हैं। हाईकोर्ट ने इस पर संतुष्टि जताते हुए कहा कि हमें विश्वास है कि SIT जल्द ही कानून के अनुरूप अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।

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हरियाणा के पुलिस अधिकारियों को विभागीय जांच में क्लीन चिट का विरोध करने पर हाईकोर्ट ने वकील को छूट दी कि यदि वह चाहे तो इस रिपोर्ट को कानून के अनुरूप चुनौती दे सकते हैं।

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