मध्यप्रदेश HC ने आपसी तलाक के बाद पूर्व पति के खिलाफ मामला चलाने के लिए तलाकशुदा महिला पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाया

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मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय इंदौर बेंच ने एक तलाकशुदा महिला पर एक लाख का जुर्माना लगाया है। महिला के ऊपर यह जुर्माना उसके तलाक के बाद भी अपने पूर्व पति और उसके बुजुर्ग माता-पिता के खिलाफ झूठे मुकदमे को लेकर लगाया गया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा गया है कि यह जुर्माना केवल झूठे मुकदमे चलाने वाले को सावधान करने के लिए लगाई गई है कि वे अदालतों का सहारा नहीं ले सकते।

याचिकाकर्ताओं ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एफआईआर को रद्द करने की मांग की 2018 के अपराध क्रमांक 999 पर दर्ज – थाना विजय नगर, इंदौर की आईपीसी धारा 498ए, 323, 506, 34, 325 और 313 के तहत

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक तलाकशुदा महिला पर अपने पूर्व पति और उसके बुजुर्ग माता-पिता के खिलाफ “बेईमान मुकदमेबाजी” जारी रखने के कदम को नजरअंदाज करते हुए उस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय इंदौर बेंच हाई कोर्ट की एकल पीठ के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने 1 मार्च को आदेश में कहा कि महिला ने “अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है”।

आदेश में कहा गया है कि यह जुर्माना केवल झूठे मुकदमे चलाने वाले को सावधान करने के लिए लगाई गई है कि वे अदालतों का सहारा नहीं ले सकते।

अदालत ने कहा “एक लाख रुपये की लागत केवल बेईमान वादियों को सावधान करने के लिए लगाई गई है कि वे अदालतों को एक सवारी के रूप में नहीं ले जा सकते हैं जो गंभीर मुकदमेबाजी के लिए हैं, और अदालतों के बहुमूल्य समय को किसी भी तरीके से उन्हें बर्बाद करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है “।

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न्यायमूर्ति अभ्यंकर ने कहा, “इस प्रकार, समझौता करने और उसके बदले 50 लाख रुपये लेने के बावजूद अपने पति और उसके परिवार के खिलाफ आपराधिक मामले को जारी रखने में महिला का आचरण स्पष्ट रूप से अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।”

पिछले वर्ष फरवरी में हुआ था तलाक-

इंदौर की रहने वाली महिला को पिछले साल फरवरी में आपसी सहमति से तलाक लेने के बाद और समझौते के बदले 50 लाख रुपये मिले थे। तलाक के दौरान हुए समझौते के दौरान मह‍िला को अपने पूर्व पत‍ि के ख‍िलाफ दर्ज केसों को वापस लेना होगा। इसमें मह‍िला ने अपने पूर्व पति और ससुरालवालों के खिलाफ क्रूरता, आपराधिक धमकी और अन्य आरोपों के लिए पांच साल पहले यहां एक पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई थी।

इस जोड़े की शादी 2000 में हुई थी और उनकी एक 20 साल की बेटी है, जो तलाक के बाद अपने पिता के साथ रह रही है। अदालत ने महिला की सहमति के बिना दहेज उत्पीड़न, मारपीट और गर्भपात के आरोप से संबंधित मामले को रद्द करते हुए उसे अपने पूर्व पति को 1 लाख रुपये देने का आदेश दिया है।

अदालत ने महिला की सहमति के बिना दहेज उत्पीड़न, मारपीट और गर्भपात के आरोप से संबंधित मामले को रद्द कर दिया और उसे चार सप्ताह में अपने पूर्व पति को 1 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।

कोर्ट ने महिला को अपने पति को 1 लाख रुपये देने का दिया आदेश।

वाद संख्या – मिसलनेओस सी.आर.सी. संख्या 6308/2022

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