मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने DIGITAL ARREST के दस आरोपियों के खिलाफ सबूतों के अभाव में उनका नाम हटाया

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने DIGITAL ARREST के दस आरोपियों के खिलाफ सबूतों के अभाव में उनका नाम हटाया

डिजिटल अरेस्ट DIGITAL ARREST की घटना दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है. ऑनलाइन कॉल ONLINE CALL के जरिए हो रही ठगी को रोकने के लिए सरकार लगातार जागरूकता फैसला रही हैं. कुछेक मामलों में जांच एजेंसी आरोपियों को पकड़ने में भी सफल रही है. फिर भी इस मामले में आरोपी की पहचान करना व उनके कृत्य को साबित करना एक बड़ी समस्या है. ऐसा ही कुछ हुआ ग्वालियर के बहुचर्चित डिजिटल अरेस्ट मामले में, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दस आरोपियों का नाम मुकदमा से हटाने के आदेश दिए हैं.

मुख्य आरोपी महिला का कोई ट्रेस नहीं!

इस मामले की मुख्य आरोपी महिला की क्राइम ब्रांच CRIME BRANCH अभी तक कोई ट्रेस नहीं पकड़ पाई है. अदालत ने रिकार्ड पर रखे मौजूदा तथ्यों के आधार पर आरोपियों को राहत देते हुए टिप्पणी कि आरोपियों का मुख्य आरोपी से कोई संबंध नहीं है. वहीं महिला शिक्षिका ने अदालत को बताया कि उनके पैसे उन्हें वापस मिल गए है और ज्यादा उम्र होने के चलते वह बार-बार अदालत में नहीं आ सकती है.

क्या है मामला?

घटना मध्य प्रदेश के सेवानिवृत शिक्षिका आशा भटनागर से जुड़ा है. उन्हें 13 और 14 मार्च के दिन मुंबई की कथित पुलिस अधिकारी सुनीता कुमारी ने फोन किया और डर बनाया कि उनके फोन से बच्चों का पोर्न शेयर किया है, जो कि गंभीर अपराध है. साइबर अपरधियों ने उन्हें इस घटना के बारे में किसी से कोई बात नहीं करने के निर्देश दिए हैं. अब साइबर अपराधियों ने महिला को मानसिक रूप से डराकर अपने हिसाब से काम करने को मना लिया. अपराधियों ने अब मुकदमे को रद्द करने के लिए 51 लाख लूट लिए.

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शिक्षिका से लूटे 51 लाख

साइबर अपराधियों CYBER CRIME ने पहले 46 लाख रूपये की मांग की, उसके बाद, दोबारा से, 5 लाख रूपये मांगे. पैसे देने के बाद और ठगी का एहसास होने के बाद शिक्षिका ने इस बात की जानकारी अपने बेटी व दमाद को दी. पता करने पर पता चला कि धमकी देनेवाली पुलिस अधिकारी ना ही मुंबई पुलिस में है और ना ही कोई उस मोबाइल नंबर से कोई बच्चों का पोर्न शेयर किया गया था. महिला ने इस घटना की शिकायत दर्ज कराई, जिसके देश के विभिन्न राज्यों से अधिकारियों ने आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

Digital Arrest

ठगी रोकने के लिए सरकार की कार्रवाई-

ठगी रोकने के लिए सरकार की कार्रवाई इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर (आई4सी) और दूरसंचार विभाग (डॉट) विदेशों से आने वाली फर्जी कॉल रोकने के लिए साथ काम कर रहे हैं. जागरूकता बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म साइबरदोस्त और एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि पर इन्फोग्राफिक्स और वीडियो भी पोस्ट किए जा रहे हैं.

सावधानी बरतें

अनजान वीडियो कॉल रिसीव न करें, सावधानी बरतें साइबर एक्सपर्ट का मानना है कि साइबर क्राइम में वॉट्सएप का इस्तेमाल इन दिनों बढ़ गया है. सोशल मीडिया ऐप और वॉट्सऐप पर हमें सतर्क रहना चाहिए. कभी भी अनजान वीडियो कॉल रिसीव नहीं करें.

अगर वीडियो कॉल आए तो अपने कैमरे को हाथ से ढक कर बात करें व अपना चेहरा न दिखाएं. फेसबुक, इंस्टाग्राम प्रोफाइल को प्राइवेट रखें. अनजान लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार नहीं करें. अधिकांश मामलों में साइबर ठग वारदात से पहले इन्हीं सोशल साइट से लोगों के संबंध में जानकारी जुटाते हैं.

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