मोहाली कोर्ट ने स्वघोषित पादरी बजिंदर सिंह को यौन उत्पीड़न मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई
मोहाली, पंजाब: मोहाली कोर्ट ने 2018 के यौन उत्पीड़न मामले में स्वघोषित ईसाई पादरी बजिंदर सिंह को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। फैसला आने के बाद पीड़िता ने मीडिया से बातचीत में न्यायपालिका, न्यायाधीश और अपने अधिवक्ता का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उसे न्याय मिल गया है।
पीड़िता ने कहा, “मैं बहुत खुश हूं। मैं न्यायाधीश, अपने वकील और न्यायपालिका का धन्यवाद करती हूं। मुझे न्याय मिला है। मैं मीडिया का भी आभार व्यक्त करती हूं, लेकिन इस समय मैं ठीक नहीं हूं। कृपया बाद में आइए, मैं सभी को इंटरव्यू दूंगी।”
कम से कम 20 साल की सजा की मांग थी
मोहाली कोर्ट ने 1 अप्रैल को बजिंदर सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इससे पहले पीड़िता ने मीडिया से बातचीत में मांग की थी कि पादरी को कम से कम 20 साल की सजा होनी चाहिए। उन्होंने कहा था,
“वह कानून को अच्छी तरह जानता है और जानबूझकर ये अपराध करता है। मैं चाहती हूं कि महिलाएं आगे आएं और उसके खिलाफ खुलकर बोलें। उन्हें अब डरने की जरूरत नहीं है।”
वकील का बयान: अनुकरणीय सजा आवश्यक थी
पीड़िता की ओर से मुकदमे की पैरवी कर रहे अधिवक्ता अनिल सागर ने इस फैसले को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि इस तरह के मामलों में कड़ी सजा जरूरी है।
“वह एक आध्यात्मिक नेता के रूप में लोकप्रिय था, उसके अनुयायी उसे ‘पापा जी’ कहकर बुलाते थे। जब ऐसा व्यक्ति इस तरह का अपराध करता है, तो उसे अनुकरणीय सजा मिलनी चाहिए। हम सजा से संतुष्ट हैं। उसे अपनी आखिरी सांस तक जेल में रहना होगा,” उन्होंने कहा।
क्या था मामला?
पंजाब पुलिस ने पीड़िता की शिकायत के आधार पर बजिंदर सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि प्रार्थना सभा के दौरान उनके साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की गई।
पीड़िता ने घटना का विवरण देते हुए बताया,
“जब मैंने पादरी बजिंदर सिंह को एक व्यक्ति को पीटने से रोका, तो उसने मुझे एक नोटबुक से मारा। उस समय मेरी डेढ़ साल की बेटी मेरे साथ थी। उसने वहां मौजूद एक अन्य लड़के को भी बेरहमी से पीटा। सरकार को जांच करनी चाहिए कि वीडियो असली था या एआई जनरेटेड। इसके बाद, मैंने चर्च से इस्तीफा दे दिया। उसने मुझे धमकाया भी। मैं वहां केवल अपनी श्रद्धा के कारण गई थी,” उन्होंने कहा।
बचाव पक्ष का दावा और कोर्ट का फैसला
बचाव पक्ष में बजिंदर सिंह ने आरोपों को गलत बताया।
उसने दावा किया कि पीड़िता ‘बुरी आत्मा’ के प्रभाव में थी, उसे दौरे पड़ते थे और वह प्रार्थना के लिए उसके पास आई थी। हालांकि, अदालत ने इन दलीलों को खारिज करते हुए उसे दोषी करार दिया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
यह फैसला जनता के लिए न्यायपालिका की निष्पक्षता और स्वच्छ न्याय प्रणाली में एक नए विश्वास की झलक पेश करता है।
Leave a Reply