मुख्तार अंसारी को 33 वर्ष 3 महीने 9 दिन पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास की सजा

ये हुई सजा-

  • आईपीसी 467/120 बी में उम्रकैद व एक लाख जुर्माना।
  • 420/120 बी में 7 वर्ष सजा व 50 हजार जुर्माना।
  • 468/120 बी में 7 वर्ष की सजा व 50 हजार जुर्माना।
  • आर्म्स एक्ट में 6 माह सजा व दो हजार जुर्माना।

मुख्तार अंसारी को 33 वर्ष 3 महीने 9 दिन पुराने गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस प्रकरण में बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई। बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा अंतरराज्यीय गिरोह (आईएस-191) का सरगना और माफिया मुख्तार को आठवीं बार सजा हुई है।

बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे अंतरराज्यीय गिरोह (IS-191) के सरगना मुख्तार अंसारी को गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में अदालत ने दोषी पाया है। विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम की अदालत ने बुधवार की दोपहर में मुख्तार अंसारी को सजा पर सुनवाई पूरी हुई। इस दौरान मुख्तार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बांदा जेल से जुड़ा रहा। तीन बजे माफिया को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

मुख्तार के वकील श्रीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि घटना के समय मुख्तार की उम्र सिर्फ 20 से 22 वर्ष रही। उस समय कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा, उस पर शस्त्र लाइसेंस लेने के लिए लाभ उठाने व साजिश का आरोप लगा। वकील ने कहा कि मुख्तार उस समय जनप्रतिनिधि भी नहीं थे, शस्त्र खरीदने का साक्ष्य नहीं है। भ्रष्टाचार के आरोप से बरी हो गए हैं, ऐसे में इस अदालत को दोषी पाए गए धाराओं में सजा सुनाए जाने का अधिकार नहीं है।

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वहीं अभियोजन की ओर से कहा गया कि प्रभाव का इस्तेमाल किया गया, जो समाज विरोधी अपराध है। सात मामलो में सजा सुनाई जा चुकी है। जिसमें उम्रकैद भी शामिल है। 20 मामले अभी लंबित हैं। ऐसे में अधिकतम सजा दी जाए।

इससे पहले नेट समस्या के चलते आधे घंटे बाद मुख्तार वीसी के जरिये जुड़ सका। सुनवाई के दौरान उसने कहा कुछ सुनाई नहीं दे रहा है। रुक- रुककर आवाज आ रही है। बाद में अपने अधिवक्ता आदित्य वर्मा से अदालत से अनुमति लेकर पांच मिनट बात करने का अनुरोध भी किया। जिस पर कोर्ट ने अनुमति दे दी।

जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया गया था।

ये था मामला-

अभियोजन पक्ष के अनुसार, मुख्तार अंसारी ने 10 जून 1987 को दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिलाधिकारी के यहां प्रार्थना पत्र दिया था। आरोप था कि गाजीपुर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर उसने शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किया था।

फर्जीवाड़ा उजागर होने पर सीबीसीआईडी द्वारा चार दिसंबर 1990 को मोहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में अदालत में आरोप पत्र प्रेषित किया गया। सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो जाने के कारण उसके विरुद्ध 18 अगस्त 2021 को मुकदमा समाप्त कर दिया गया।

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