बॉम्बे उच्च न्यायालय में मुस्लिम युवक ने अपनी हिंदू महिला साथी को छुड़ाने के लिए याचिका दाखिल की है। याचिका के जरिए आरोप लागए जा रहे हैं कि महिला को जबरन शेल्टर होम में रखा गया है। वकीलों का कहना है कि महिला अपनी इच्छा से कई महीनों से युवक के साथ लिव इन रिलेशन में रह रही थी। अदालत जल्द ही मामले पर सुनवाई कर सकता है।
मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, दाखिल याचिका के जरिए कपल की सुरक्षा की भी मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि शासकीय महिला हॉस्टल में मुस्लिम युवक की हिंदू महिला साथी को जबरन रखना गैरकानूनी है। खबर है कि महिला के माता-पिता और कई थर्ड पार्टियों की तरफ से शिकायत किए जाने के बाद कथित तौर पर पुलिस ने उसे शेल्टर होम में रखने के निर्देश दिए हैं।
वकील आबिद अब्बास सैयद और आसिफ शेख की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया है कि महिला अपनी मर्जी से पिता का घर छोड़कर आई थी। साथ ही कहा गया है कि मर्जी से ही युवक के साथ लिव इन रिलेशन में रह रही थी। इसमें कहा गया है कि महिला का युवक के साथ रहने का फैसला बगैर किसी दबाव या गलत प्रभाव के लिए गया था।
याचिका में एक हलफनामा भी दिया गया है, जिसमें यह दिखाया गया है कि महिला खुद पुष्टि कर रही है कि वह पति-पत्नी की तरह कई महीने से रह रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि जब महिला ने कोई अपराध नहीं किया है और न ही वह किसी मामले में आरोपी हैं, तो उसे मर्जी के खिलाफ कैद रखना सही नहीं है। युवक ने पुलिस पर महिला के बयानों को नजरअंदाज करने के आरोप लगाए हैं।
जस्टिस भारती डांगरे और जस्टिस मंजुषा देशपांडे की बेंच इस याचिका पर सुनवाई कर सकती है।
कोर्ट के सामने महिला का एक वीडियो भी पेश किया गया है, जिसमें वह कह रही है कि उसने युवक से शादी करने और इस्लाम स्वीकार करने का फैसला अपनी मर्जी बगैर किसी दबाव के किया है।