ND : देश में जहां एक तरफ नए आई टी नियम लागू किये जा रहे हैं तो सोशल मीडिया से जुड़ी कई बातें जो हम आप के निजिता से सम्बंधित है सामने आते जा रहे हैं।
वर्तमान में सोशल मीडिया का इस्तेमाल कितना सुरक्षित है और क्या आप जो बात एक-दूसरे से करते हैं वह पूरी तरह से गोपनीय है इसपर गूगल ने संसदीय कमेटी में जो जवाब दिया है उससे नया खुलासा हुआ है। उसे जानकर आप जरूर सतर्क हो जाएंगे।
सूत्रों के अनुसार गूगल ने संसद की स्टैडिंग कमेटी में इस बात को स्वीकार किया है कि गूगल के कर्मचारी ग्राहकों की बातचीत की रिकॉर्डिंग को गूगल असिस्टेंट के जरिए सुनते हैं।
दरअसल ग्राहकों की सुरक्षा को लेकर गूगल के प्रतिनिधि संसद की आईटी कमेटी के सामने पेश हुए और इस दौरान उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि उनके कर्मचारी लोगों की व्यक्तिगत बातों को सुनते हैं।
गूगल ने की स्वीकार रिकॉर्डिंग की बात–
संसदीय समिति के सूत्रों ने बताया कि गूगल ने इस बात को स्वीकार किया है कि जब गूगल के यूजर ‘OK GOOGLE’ (ओके गूगल ) के जरिेए गूगल से स्मार्ट स्पीकर के जरिए बात करतें हैं तो गूगल के कर्मचारी इसे सुनते हैं।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने गूगल के प्रतिनिधि से इस बाबत सवाल किया था, जिसका जवाब देते हुए गूगल की टीम ने स्वीकार किया कि कभी-कभी हम यूजर्स जब वर्चुअल असिस्टेंट को कॉल नहीं करते हैं तो भी हम उनकी बातचीत को रिकॉर्ड करते हैं।
हालांकि गूगल ने यह भी पैनल के सामने कहा है कि इस दौरान संवेदनशील बातों को नहीं सुना जाता है, यह सिर्फ सामान्य बातचीत होती है और उसे ही रिकॉर्ड किया जाता है।
कैसे और कौन तय करता है कौन सी बात रिकॉर्ड करनी है कौन सी नहीं-
गूगल की ओर से कहा गया है कि वह गोपनीय बात को रिकॉर्ड नहीं करता है। लेकिन गूगल की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि आखिर वह कैसे यह तय करता है कि कौन सी बात गोपनीय संवेदनशील है और कौन सी नहीं।
संसदीय पैनल के सदस्य के अनुसार इस मामले को गंभीरता से लिया गया है और इसे गोपनीयता के अधिकार का हनन माना गया है। कमेटी की अंतिम रिपोर्ट पैनल के अध्यक्ष शशि थरूर तैयार करेंगे और इस मामले में सरकार को अपनी सिफारिश देंगे।
पैनल ने मजबूती के साथ गूगल के पैनल से कहा है कि वह लोगों की गोपनीयता को सुरक्षित रखें और इस तरह का तरीका निकाले जिससे कि यूजर्स के डेटा के साथ कोई भी समझौता ना हो।
गूगल प्राइवेसी पॉलिसी में नहीं है इसका जिक्र–
पैनल के एक सदस्य ने कहा कि गूगल ने जिस तरह से इस बात को स्वीकार किया है उसके बाद इस सवाल का जवाब मिल गया है कि आखिर जब कोई यूजर गूगल असिस्टेंट से किसी होटल की जानकारी मांगता है तो उसके बाद अलग-अलग तरह की डील और ऑफर्स के मैसेज आने लगते हैं। पैनल के एक अन्य सदस्य ने कहा कि गूगल के बयान के बाद स्पष्ट है कि गूगल स्मार्ट स्पीकर, गूगल असिस्टेंड के जरिए यूजर की कॉल रिकॉर्ड की जाती है, जबकि गूगल की प्राइवेसी पॉलिसी में इसका जिक्र नहीं है।
यह मामला गोपनीयता और निजिता के उल्लंघन का गंभीर मामला है।