मुसलमानों के सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार के आह्वान के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका

मुसलमानों के सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार के आह्वान के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका

आवेदक शाहीन अब्दुल्ला का आरोप है कि अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ धमकी भरे आवाह्न पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में किए गए थे जो एक बहुत ही गंभीर बात है।

गुरुग्राम में एक बहुत ही गंभीर बात हुई है, जहां पुलिसकर्मियों के साथ खड़े होकर एक आह्वान किया जाता है, जिसमें कहा जाता है कि यदि आप इन लोगों को दुकानों में काम पर रखेंगे, तो आप सभी ‘गद्दार’ होंगे…हमने एक तत्काल याचिका दायर की है।

शाहीन अब्दुल्ला द्वारा याचिका को कोर्ट दोपहर के भोजन के समय पर विचार कर सकती है। यह याचिका शाहीन अब्दुल्ला द्वारा अंतरिम आवेदन के रूप में दायर की गई है, जो उनकी लंबित रिट याचिका में दायर की गई है।

पिछले हफ्ते, अदालत ने उनके आवेदन पर एक आदेश पारित किया था, जिसमें दिल्ली, यूपी और हरियाणा में पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि नूंह सांप्रदायिक झड़पों के मद्देनजर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल द्वारा आयोजित रैलियों में कोई नफरत भरा भाषण या हिंसा न हो।

आवेदन के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, विभिन्न राज्यों में 27 से अधिक रैलियां आयोजित की गई हैं, जहां खुलेआम मुसलमानों की हत्या और उनके सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार का आह्वान करते हुए घृणास्पद भाषण दिए गए हैं। आवेदन ने 02.08.2023 को सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो का हवाला दिया, जिसमें कथित तौर पर हरियाणा के हिसार में समस्त हिंदू समाज नामक संगठन के एक जुलूस को दिखाया गया है, जिसमें निवासियों/दुकानदारों को चेतावनी दी गई है कि यदि वे 2 दिन के बाद किसी भी मुस्लिम को रोजगार देना जारी रखते हैं, तो उनकी दुकानों का बहिष्कार कर दिया जाएगा।

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आवेदक का आरोप है कि अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ धमकी भरे आवाह्न पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में किए गए थे। आवेदन में यह भी आरोप लगाया गया है कि 4 अगस्त को मध्य प्रदेश के सागर में पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में विहिप नेता कपिल स्वामी द्वारा हिंसा और मुसलमानों के बहिष्कार का खुला आह्वान किया गया था। आवेदन में फाजिल्का में बजरंग दल के एक नेता द्वारा दिए गए भाषण का भी हवाला दिया गया है।नासिर और जुनैद की हत्याओं को उचित ठहराया गया, जिन्हें फरवरी, 2023 में बेरहमी से पीटा गया और जिंदा जला दिया गया था।

याचिका में नफरत भरे भाषणों को रोकने में विफलता के लिए उन रैलियों और बैठकों में भाग लेने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। आवेदक ने नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ उनके द्वारा की गई कार्रवाई की व्याख्या करने के लिए संबंधित राज्य पुलिस को निर्देश देने की मांग की है।

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