उत्तराखंड हाई कोर्ट में युनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका दायर

उत्तराखंड

उत्तराखंड में युनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) अधिनियम और इसके नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (PIL) नैनीताल उच्च न्यायालय में दायर की गई है। उत्तराखंड में UCC के लागू होने के बाद से इस अधिनियम को लगातार नैनीताल उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा रही है।

यह PIL डॉ. उमा भट्ट, कमला पंत (उत्तराखंड महिला मंच) और मनीष कुमार (समाजवादी लोक मंच) द्वारा दायर की गई है, जो UCC अधिनियम और इसके नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दे रहे हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की वकील व्रिंदा ग्रोवर याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

याचिकाकर्ताओं ने UCC को पूरी तरह से जनविरोधी, असंवैधानिक और गोपनीयता का उल्लंघन करने वाला बताया है। उनका कहना है कि यह कानून महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को बढ़ावा देगा और समाज में असमानता पैदा करेगा। याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना है कि इस अधिनियम के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 का उल्लंघन किया गया है। इसके अतिरिक्त, याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि यह कानून युवाओं को अपने जीवनसाथी चुनने का अधिकार छीनता है।

इससे पहले, उत्तराखंड सरकार के गृह विभाग ने UCC के कुछ प्रावधानों को लेकर फैल रही अफवाहों को खारिज किया था, विशेष रूप से यह दावा कि बाहरी लोग UCC के तहत विवाह पंजीकरण कर राज्य के निवास प्रमाण पत्र (डोमिसाइल) के हकदार होंगे। गृह विभाग ने इसे “गलत और भ्रामक” बताया था।

गृह विभाग ने कहा, “यह जानकारी सामने आई है कि कुछ लोग सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों पर UCC के कुछ प्रावधानों के बारे में भ्रामक और गलत जानकारी फैला रहे हैं, जैसे कि बाहरी लोग उत्तराखंड में UCC के तहत विवाह पंजीकरण कर राज्य का निवास प्रमाण पत्र प्राप्त करेंगे। यह गलत और भ्रामक तथ्य है।”

ALSO READ -  उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी पर सुप्रीम कोर्ट की सख़्त टिप्पणी, केंद्र सरकार को कॉलेजियम की सिफारिशों पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश

उत्तराखंड सरकार ने यह स्पष्ट किया कि विवाह पंजीकरण का डोमिसाइल प्रमाण पत्र से कोई संबंध नहीं है और UCC में विवाह या अन्य पंजीकरण के आधार पर डोमिसाइल देने का कोई प्रावधान नहीं है।

गृह विभाग ने यह चेतावनी भी दी कि UCC के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 353 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने जनता से अपील की कि वे केवल आधिकारिक स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें और अफवाहें फैलाने से बचें।

यदि किसी को UCC के किसी भी प्रावधान के बारे में संदेह या स्पष्टीकरण चाहिए, तो वे उत्तराखंड सरकार के गृह विभाग से आधिकारिक चैनलों के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं।

Translate »