सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कहा की आरोपी मुन्ना पांडे ने एक जून 2015 को अपने घर टीवी देखने आई 11 साल की नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया था। दुष्कर्म के बाद आरोपी ने गला घोंटकर पीड़िता की जान ले ली थी।
शीर्ष न्यायलय ने पटना उच्च न्यायलय के एक निर्णय को निरस्त कर दिया, जिसमें हाईकोर्ट ने दुष्कर्मी को मृत्युदंड की सजा दी थी। आरोपी के खिलाफ हत्या का भी आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्निर्णय के लिए मामले को वापस हाईकोर्ट भेज दिया है।
क्या है पूरा मामला-
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी मुन्ना पांडे ने एक जून 2015 को अपने घर टीवी देखने आई 11 साल की नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया था। दुष्कर्म के बाद आरोपी ने गला घोंटकर पीड़िता की हत्या कर दी। मामले में भागलपुर की एक ट्रायल कोर्ट ने 2017 में मुन्ना को हत्या और दुष्कर्म का दोषी माना और उसे मृत्युदंड दे दिया। मुन्ना ने इसके खिलाफ पटना हाईकोर्ट में याचिका लगाई, जिसे 2018 में खारिज कर दी गई। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को यथावत रखते हुए मौत की सजा बरकरार रखी। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ मुन्ना ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दाखिल की।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच का निर्णय-
मुन्ना की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई उलट-पुलट हो गई। हमने पटना हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है। नए सिरे से मामले की सुनवाई और नए फैसले के लिए इसे वापस उच्च न्यायालय भेज रहे हैं। बेंच ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से कहा गया है कि मामला एक ऐसी पीठ को सौंपे, जो शीघ्रता से फैसला करे। यह ध्यान में रखें कि आरोपी नौ वर्षों से जेल में है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि बहस के लिए आरोपी को वकील की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।