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तो क्या बुंदेलखंड राज्य गठन के साथ ही क्रिमिनल लॉ में बदलाव संभव, सरकार का संसद में लिखित जवाब, जानें क्या कहा

ये समिति आईपीसी 1860 के साथ ही कोड ऑफ क्रिमिनल प्रॉसीजर 1973 और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 में संशोधन के लिए सुझाव देगी। उन्होंने ये भी बताया है कि गृह मंत्रालय ने राज्यपाल, उपराज्यपाल, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों के साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया और अलग-अलग राज्यों के बार काउंसिल से भी सुझाव मांगे गए हैं।

संसद के चालू बजट सत्र के दूसरे चरण के दूसरे दिन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई। लोकसभा में गृह मंत्रालय ने लिखित सवालों के लिखित जवाब दिए। गृह मंत्रालय ने बुंदेलखंड राज्य के गठन से लेकर पुलिस की स्थिति, आपराधिक कानूनों में बदलाव तक, लोकसभा में पूछे गए लिखित सवालों के जवाब दिए। गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा और नित्यानंद राय ने लिखित जवाब दिए।

प्रश्नकाल की शुरुआत के साथ ही सदन में हंगामा हो गया जिसके कारण सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी। इस दौरान कुछ लिखित सवाल सदन में पेश किए गए जिनके सरकार की ओर से लिखित जवाब दिए गए। इनमें बुंदेलखंड राज्य से लेकर पुलिस की स्थिति और क्रिमिनल लॉ में बदलाव से जुड़े सवाल भी थे।

गृह मंत्रालय की ओर से इन सवालों के लिखित जवाब दिए गए। गृह मंत्रालय ने बुंदेलखंड राज्य बनाने को लेकर सवाल के जवाब में कहा है कि अलग-अलग मंचों, संगठनों की ओर से सरकार को नए राज्य के निर्माण को लेकर प्रस्ताव मिलते रहते हैं। गृह मंत्रालय ने अपने जवाब में ये भी साफ किया कि इस समय सरकार के पास नया राज्य बनाने के लिए कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

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एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा है कि आपराधिक कानूनों में सुधार के लिए एक कमेटी गठित की गई है। सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स के जज, सांसदों से कॉम्प्रिहेंसिव संशोधन के लिए सुझाव मांगे गए हैं। गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने लोकसभा में दिए लिखित जवाब में जानकारी दी कि समिति की कमान नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति को सौंपी गई है।

आपराधिक कानून में संशोधन के लिए कमेटी सुझाव देगी-

गृह राज्यमंत्री की ओर से लिखित जवाब में ये जानकारी दी गई है कि ये समिति आईपीसी 1860 के साथ ही कोड ऑफ क्रिमिनल प्रॉसीजर 1973 और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 में संशोधन के लिए सुझाव देगी। उन्होंने ये भी बताया है कि गृह मंत्रालय ने राज्यपाल, उपराज्यपाल, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों के साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया और अलग-अलग राज्यों के बार काउंसिल से भी सुझाव मांगे गए हैं।

गृह राज्यमंत्री की ओर से लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक अलग-अलग विश्वविद्यालयों, लॉ इंस्टीट्यूट्स से भी आपराधिक कानूनों में सुधार के लिए सुझाव मांगे गए हैं। उन्होंने अपने लिखित जवाब में ये भी कहा है कि सरकार समिति की सिफारिश, सभी स्टेकहोल्डर्स से मिले सुझाव का ध्यान रखते हुए व्यापक एक व्यापक कानून लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने ये भी कहा है कि इस तरह के कानूनों के निर्माण की कवायद जटिल और लंबी है. इसमें स्टेकहोल्डर्स के अलग-अलग विचार होते हैं। इन सबका ध्यान रखते हुए कानून का निर्माण करना एक लंबी कवायद है। गृह राज्यमंत्री ने ये भी कहा है कि इसके लिए किसी समय सीमा का निर्धारण नहीं किया जा सकता। वहीं, पुलिस को लेकर एक सवाल का गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लिखित जवाब दिया।

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देश के 63 थानों की पुलिस के पास पुलिस वैन नहीं-

गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में दिए लिखित जवाब में ये जानकारी दी है कि देश में 63 थाने ऐसे हैं, जिनके पास अपना वाहन नहीं है। उन्होंने ये भी जानकारी दी है कि है कि देशभर में 628 पुलिस थाने ऐसे हैं, जिनके पास टेलीफोन कनेक्शन भी नहीं है और 285 थानों के पास वायरलेस सेट या मोबाइल फोन नहीं हैं। उन्होंने लोकसभा में लिखित जवाब में ये भी बताया कि देशभर में अभी 17535 थाने संचालित हो रहे हैं।

नक्सल हिंसा में गिरावट आई-

गृह राज्यमंत्री राय ने लिखित जवाब में बताया कि पिछले 12 साल के दौरान देश में नक्सली हिंसा में करीब 77 फीसदी की कमी आई है। नक्सल घटनाओं में मरने वालों की संख्या में भी 90 फीसदी कमी आई है और ये महज 45 जिलों के 176 थाना क्षेत्रों तक सिमट गई है। गृह राज्यमंत्री ने ये भी बताया कि साल 2010 में नक्सल घटनाओं में 1005 सुरक्षाबलों के जवानों समेत 1005 लोगों की मौत हुई थी वहीं 2022 में ये संख्या 98 रही है।

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