बेटा, बेटा होता है, सौतेले बेटे को नौकरी पाने का अधिकार… जानें अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी को लेकर HC का क्या आदेश

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अदालत ने कहा है कि बेटा, बेटा होता है। सगा या सौतेला नहीं। अगर बेटा सौतेला है तो भी उसे अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने का अधिकार है।

  • मामले के प्रमुख बिंदु-
  • शख्स का अविवाहित मां से हुआ था जन्म
  • जन्म के बाद मां ने की थी दूसरी शादी
  • पुलिस में सिपाही के पद पर तैनात थे पिता
  • सरकार ने अनुकंपा नौकरी का नहीं माना अधिकारी

कलकत्ता उच्च न्यायलय ने अनुकंपा नियुक्ति को लेकर अहम फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि एक सरकारी कर्मचारी के सौतेले बेटे को कर्मचारी की मृत्यु पर अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार है। इस मामले में याचिकाकर्ता एक व्यक्ति था, जिसका जन्म कोलकाता पुलिस के एक यातायात सिपाही के घर में हुआ था। पिता की मौत के बाद मां ने दूसरी शादी कर ली थी। सौतेले पिता भी सिपाही थी, उनकी मृत्ये के बाद याचिकाकर्ता ने निधन के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया गया क्योंकि गोद लेने को कभी औपचारिक रूप नहीं दिया गया था।

न्यायमूर्ति देबांगशु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर रशीदी ने कहा कि बेटा, बेटा होता है। बेटा शब्द में एक जैविक बेटा, सौतेला बेटा, गोद लिया हुआ बेटा और एक नाजायज बेटा शामिल होना चाहिए।

मामला संक्षेप में-

याचिकाकर्ता की मां बीना कर ने 1981 में जन्म दिया था। वह अभी भी कानूनी रूप से गणेश चंद्र साहा से विवाहित थी। साहा की 1989 में मृत्यु हो गई और उसके बाद बीना ने अगले वर्ष सिपाही भोला नाथ कर से शादी कर ली। 2003 में सेवा में रहते हुए भोलानाथ कर की मृत्यु के बाद, याचिकाकर्ता ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। यह पता चलने के बाद कि भोला नाथ ने औपचारिक रूप से याचिकाकर्ता को गोद नहीं लिया था, अधिकारियों ने 2011 में घोषणा की कि वे अनुकंपा के आधार पर रोजगार की पेशकश नहीं कर पाएंगे।

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उच्च न्यायलय का कथन-

न्यायाधीशों ने सोमवार को कहा, ‘बेटे के अर्थ को केवल जैविक या गोद लिए गए (बेटों) तक सीमित रखना गलत होगा। ‘बेटा’ शब्द में सौतेला बेटा उतना ही शामिल होगा जितना कि इसमें एक जैविक, गोद लिया हुआ या अवैध बेटा शामिल होगा। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसी सीमित परिभाषा संविधान के अनुच्छेद 16 (2) का उल्लंघन करती है, जो यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी नागरिक वंश के आधार पर राज्य के तहत किसी भी रोजगार या पद के संबंध में पात्र नहीं होगा या उसके साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।

वकील द्वारा दी गई दलील को भी किया कोर्ट ने ख़ारिज-

बंगाल राज्य के वकील ने तर्क दिया कि हिंदू गोद लेने और रखरखाव अधिनियम, 1956 के अनुसार, एक सरकारी कर्मचारी का गोद लिया हुआ बेटा ‘बेटा’ के अर्थ में आएगा। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस तर्क को यह कहते हुए खारिज कर दिया, ‘अनुकंपा नियुक्ति वंशानुगत अधिकार नहीं है’, इसलिए हिंदू गोद लेने और रखरखाव अधिनियम का सहारा लेना निराधार था।

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