जजों की नियुक्ति की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकीलों की हड़ताल

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने 9 अधिवक्ताओं की प्रैक्टिस पर लगाई रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने आज न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया है, जिसके चलते हाईकोर्ट में वकीलों की हड़ताल के कारण कामकाज प्रभावित रहेगा। बार एसोसिएशन ने यह कदम न्यायालय में खाली पड़े न्यायाधीशों के पदों को शीघ्र भरने की मांग को लेकर उठाया है।

वर्तमान में, हाईकोर्ट में स्वीकृत न्यायाधीशों की कुल संख्या 160 है, लेकिन समय पर नियुक्तियां न होने के कारण यह संख्या कभी पूरी नहीं हो पाई। वर्तमान में केवल 110 न्यायाधीशों की ही नियुक्ति हो सकी है, जबकि आधे से अधिक पद खाली पड़े हैं। हाईकोर्ट कोलेजियम ने तीन चरणों में लगभग 30 नाम सुप्रीम कोर्ट को भेजे हैं, जो अभी विचाराधीन हैं। नियमित नियुक्तियां न होने और न्यायाधीशों के सेवानिवृत्त होने के कारण न्यायालय में लंबित मामलों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है।

न्यायिक प्रक्रिया पर हड़ताल का असर

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव (प्रेस) पुनीत शुक्ला ने जानकारी दी कि हाईकोर्ट में लंबित मुकदमों की संख्या 11 लाख 49 हजार 453 तक पहुंच गई है। उत्तर प्रदेश, जिसकी जनसंख्या 25 करोड़ से अधिक है, में न्यायालयों पर बढ़ते बोझ और न्याय में हो रही देरी को लेकर अधिवक्ताओं ने यह विरोध प्रदर्शन किया है।

पूर्व में उठाए गए कदम

इससे पहले, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने बार काउंसिल द्वारा एडवोकेट एक्ट में किए गए विवादित संशोधनों के विरोध में न्यायिक कार्य से अलग रहने का फैसला लिया था। हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा इस विधेयक पर पुनर्विचार करने के आश्वासन के बाद अब वकीलों ने अपनी मांग जजों की शीघ्र नियुक्ति पर केंद्रित कर दी है।

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न्यायिक प्रक्रिया ठप रहने की संभावना

हड़ताल के चलते हाईकोर्ट में न्यायिक कार्य लगभग ठप रहने की संभावना है। अधिवक्ताओं का कहना है कि जब तक न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी नहीं लाई जाती, तब तक इस मुद्दे को लेकर उनका विरोध जारी रहेगा।

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