वकीलों से हफ्ते में 5 बार मिलने की अपील, सुकेश ने दिया केजरीवाल केस का हवाला, HC ने जेल अधिकारियों को इस पर विचार करने और का दिया निर्देश

सुकेश चंद्रशेखर जेल में रहने के दौरान अपने वकीलों से अतिरिक्त मुलाकात की गुहार लगाई है। इसको लेकर उसने दिल्ली हाईकोर्ट में रिट याचिका डाली है।

कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर ने जेल में रहने के दौरान अपने वकीलों से अतिरिक्त मुलाकात की गुहार लगाई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को जेल अधिकारियों को कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर की ओर से दाखिल की गई रिट याचिका पर विचार करने और निर्णय लेने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने मामले की सुनवाई की। अदालत ने सुकेश चंद्रशेखर रिट याचिका पर निर्देश जारी किए। इससे पूर्व न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

सुकेश चंद्रशेखर ने अपनी रिट याचिका के जरिये अपने कानूनी सलाहकार से हफ्ते में कुल 5 बार मुलाकात करने की अनुमति मांगी है। इस अनुरोध में मौजूदा वक्त में हर हफ्ते दो मुलाकातों के अलावा तीन अतिरिक्त मुलाकातों की मांग की गई है। सुकेश चंद्रशेखर की ओर से अधिवक्ता अनंत मलिक ने दलीलें रखीं। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता वर्चुअल मीटिंग की मौजूदा अनुमति को अपर्याप्त पाता है।

मिडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाई-प्रोफाइल मामलों समेत तमाम कानूनी मुद्दों की जटिलता का हवाला देते हुए सुकेश चंद्रशेखर के वकील ने दावा किया कि बचाव को प्रभावी ढंग से रखने के लिए सुकेश का वकीलों के साथ लगातार परामर्श करना जरूरी है। याचिका में सुकेश चंद्रशेखर की व्यक्तिगत परेशानियों का भी हवाला दिया गया है। इसमें परिवार से अलग-थलग रहना और जीवनसाथी को जेल में रखा जाना शामिल है।

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याचिका में दलील दी गई है कि कानूनी परामर्श पर मौजूदा प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेद 22(1) के तहत सुकेश के मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं। संविधान का अनुच्छेद 22(1) किसी व्यक्ति को अपनी पसंद के कानूनी जानकार से रायशुमारी करने और बचाव करने के अधिकार की गारंटी देता है।

अपनी इन दलीलों के पक्ष में सुकेश के वकील की ओर से हालिया न्यायिक घटनाओं का हवाला दिया गया है। इसमें अरविंद केजरीवाल बनाम दिल्ली कारागार विभाग में दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला भी शामिल है। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को उनके वकील से हर हफ्ते में 5 बार मिलने की अनुमति दी थी।

याचिका में कहा गया है कि अदालत के फैसले से उसकी दलील को मजबूती मिलती है कि चंद्रशेखर को भी उचित कानूनी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए इसी तरह की छूट दी जानी चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट ने जेल अधिकारियों को इस पर विचार करने और निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

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