देश भर के वकीलों की डिग्री जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बनायी हाई लेवेल कमेटी, जानिए क्या है मंशा

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक बड़े घटनाक्रम में देश में वकीलों कि डिग्री के सत्यापन को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी वकीलों कि डिग्री, एनरोलमेंट सर्टिफिकेट, शैक्षिक प्रमाण पत्र कि जाँच होगी।इस जाँच कि निगरानी एक उच्च स्तरीय समिति करेगी, जिसकी अधक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बीएस चौहान करेंगे।

न्यायमूर्ति बीएस चौहान के अलावा, समिति में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति अरुण टंडन, दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन, वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और मनिंदर सिंह और बीसीआई द्वारा नामित तीन सदस्य शामिल होंगे।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने सभी राज्य बार काउंसिलों को बीसीआई के एक कार्यालय आदेश को चुनौती देने वाले एक वकील अजय शंकर श्रीवास्तव की याचिका पर आदेश पारित किया।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि-

“सभी विश्वविद्यालय और परीक्षा बोर्ड बिना शुल्क लिए डिग्रियों की सत्यता की पुष्टि करेंगे, और राज्य बार काउंसिल द्वारा मांग पर बिना किसी देरी के कार्रवाई की जाएगी। हम समिति से अनुरोध करते हैं कि पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तारीख और समय में काम शुरू करें और स्थिति रिपोर्ट 31 अगस्त 2023 में दायर की जाए।”

क्या है मामला?

2015 में, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने सर्टिफिकेट और प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (सत्यापन Verification) नियम पेश किए। राज्य बार काउंसिल State Bar Council और बीसीआई द्वारा अधिवक्ताओं की उनके अभ्यास के स्थान से सत्यापन प्रक्रिया का संचालन किया गया था, लेकिन इस प्रक्रिया को कई उच्च न्यायालयों में नियमों द्वारा चुनौती दी गई थी।

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बीसीआई द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में एक स्थानांतरण याचिका दायर की गई थी, और उच्च न्यायालयों के समक्ष कार्यवाही को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था।

सत्यापन प्रक्रिया का नेतृत्व करने के लिए बाद में बीसीआई द्वारा एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था, लेकिन जब विश्वविद्यालयों ने डिग्री प्रमाणपत्रों को सत्यापित करने के लिए फीस का अनुरोध किया तो सत्यापन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने बाद में इस प्रक्रिया पर शुल्क लगाने पर रोक लगा दी।

न्यायालय ने न्याय प्रणाली की अखंडता की रक्षा के लिए अधिवक्ताओं की शैक्षिक योग्यता को सत्यापित करने के महत्व पर जोर दिया। बीसीआई चेयरपर्सन ने इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक हाई पावर कमेटी बनाने का सुझाव दिया, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

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