सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम केस मामले में सेशंस कोर्ट में अपील लंबित रहने तक राहुल गांधी को दी फौरी राहत

Estimated read time 1 min read

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जबतक राहुल की दोषसिद्धि वाली याचिका सेशंस कोर्ट में लंबित है तबतक उनकी सजा पर रोक रहेगी-

सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम केस मामले में राहुल गांधी को राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए राहुल की सजा पर रोक लगाई है। जज ने राहुल गांधी को राहत देते हुए कहा, शीर्ष अदालत ने कहा की वह सेशंस कोर्ट में अपील लंबित रहने तक राहुल की दोषसिद्धि पर रोक लगा रहे हैं।

राहुल गांधी के इस मामले की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही थी। राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में तर्क देते हुए कहा कि खुद शिकायतकर्ता (पूर्णेश) का मूल सरनेम ही मोदी नहीं है. उनका मूल उपनाम भुताला है. फिर यह मामला कैसे बन सकता है। वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष न्यायलय को ये भी बताया कि राहुल ने जिन लोगों का नाम लिया, उन्होंने केस नहीं किया. उन्होंने कहा, यह लोग कहते हैं कि मोदी नाम वाले 13 करोड़ लोग हैं, लेकिन ध्यान से देखा जाए तो समस्या सिर्फ बीजेपी से जुड़े लोगों को ही हो रही है।

वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा ‘राहुल को दी गई अधिकतम सजा’-

अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में राहुल का पक्ष रखते हुए कहा कि इस मामले में मानहानि केस की अधिकतम सज़ा दे दी गई। इसका नतीजा यह होगा कि राहुल गांधी 8 साल तक जनप्रतिनिधि नहीं बन सकेंगे। उन्होंने शीर्ष अदालत को बताया हाईकोर्ट ने 66 दिन तक आदेश सुरक्षित रखा। राहुल लोकसभा के 2 सत्र में शामिल नहीं हो पाए हैं।

ALSO READ -  वक्फ संपत्तियों पर अवैध इमारतों का निर्माण जोरों पर हो रहा है लेकिन इस ओर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा - दिल्ली हाई कोर्ट

न्यायमुर्ति गवई ने कहा – लेकिन ट्रायल जज ने अधिकतम सजा दी है-

जिस पर न्यायमुर्ति गवई ने पूछा कि लेकिन ट्रायल जज ने अधिकतम सजा दी है। इसका कारण भी विस्तार से नहीं बताया गया है। न्यायमुर्ति गवई ने आगे कहा कि ऐसी सजा देने से सिर्फ एक व्यक्ति का ही नहीं बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र का अधिकार प्रभावित हो रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के प्रभाव व्यापक हैं। इससे न केवल राहुल गांधी का सार्वजनिक जीवन में बने रहने का अधिकार प्रभावित हुआ, बल्कि उन्हें चुनने वाले मतदाताओं का अधिकार भी प्रभावित हुआ। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है, अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला किसी एक शख्स का नहीं है बल्कि पूरे संसदीय क्षेत्र का है। कैसे उन्हें उनके नुमाइंदे से वंचित किया जा सकता है।

राफेल केस में भी राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है कहा था-महेश जेठमलानी

महेश जेठमलानी ने कहा कि राफेल केस में भी राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है कहा था। बाद में उन्होंने कोर्ट में यह जवाब दिया था कि वह चुनावी प्रचार के दौरान उत्तेजनावश ऐसा बोल गए। यानी तब भी सीधे गलती मानने की बजाय उस पर तर्क देने की कोशिश की गई थी। आखिरकार कोर्ट की फटकार के बाद उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी थी।

राहुल गांधी पर आदेश देते हुए पीठ ने कहा-

ALSO READ -  एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल पारित, एक महीने बाद न्यायिक कार्य पर लौटें वकील

राहुल पर आदेश देते हुए पीठ ने कहा, राहुल की अपील सेशंस कोर्ट में पेंडिंग है, इसलिए हम केस पर टिप्पणी नहीं करेंगे। जहां तक राहुल की सजा पर रोक की बात है, ट्रायल कोर्ट ने राहुल को मानहानि की अधिकतम सजा दी है लेकिन इसका कोई विशेष कारण नहीं दिया है।

2 साल की सजा के चलते राहुल जनप्रतिनिधित्व कानून के दायरे में आ गए अगर उनकी सजा कुछ कम होती तो उनकी सदस्यता नहीं जाती। इसमें कोई शक नहीं है कि राहुल का बयान अच्छा नहीं था। सार्वजनिक जीवन मे बयान देते समय संयम बरतना चाहिए।

ट्रायल कोर्ट के इस फैसले से राहुल के अलावा उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों का अधिकार भी प्रभावित हो रहा है। इसलिए हम सेशंस कोर्ट में अपील लंबित रहने तक राहुल की सजा पर रोक लगा रहे हैं।

राहुल गांधी को मिली फौरी राहत-

राहुल गांधी को दी गई यह राहत फौरी राहत है। अगर सेशंस कोर्ट दो साल की सजा सुनाता है तो यह अयोग्यता फिर से लागू हो जाएगी। लेकिन अगर राहुल गांधी को बरी कर देता है या सजा को घटाकर दो साल से कम कर देता है तो सदस्यता बहाल रहेगी।

You May Also Like