Yasin Malik को बिना किसी निर्देश के कोर्ट में पेशी के लिए मौजूद देख, Supreme Court न्यायाधीशों के उड़े होश!

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सुप्रीम कोर्ट में यासीन मलिक की व्यक्तिगत पेशी मामले में लापरवाही और सुरक्षा में हुए चूक को लेकर शनिवार 22 जुलाई 2023 को 4 अफसरों को किया सस्पेंड-

दिल्ली के तिहाड़ जेल प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में यासीन मलिक की व्यक्तिगत पेशी मामले में लापरवाही को लेकर शनिवार 22 जुलाई 2023 को 4 अफसरों को सस्पेंड कर दिया है। इनमें एक डिप्टी सुपरिन्टेंडेंट, 2 असिस्टेंट सुपरिन्टेंडेंट और एक अन्य अधिकारी शामिल है।

देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 21 जुलाई 2023 को होम सेक्रेटरी अजय भल्ला को चिट्‌ठी लिखकर सवाल उठाया था कि सुप्रीम कोर्ट के बुलाए बिना यासीन को कोर्ट क्यों ले जाया गया? मेहता ने इसे सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा में गंभीर चूक बताया था।

SG ने चिट्‌ठी में लिखा-

यासीन जैसा आतंकी और अलगाववादी नेता, जो न केवल टेरर फंडिंग मामले में दोषी है, बल्कि पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के साथ संबंध रखता है, वो भाग सकता था, जबरन ले जाया जा सकता था या मारा जा सकता था।

कश्मीरी अलगाववादी नेता Yasin Malik ने, जो तिहार जेल में एक टेरर फंडिंग मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, 21 जुलाई, 2023 को एक बेहद हैरान करने वाला काम किया है। यासीन मलिक बिना किसी निर्देश के उच्चतम न्यायालय में एक मामले में पेश हो गए जिसे देखकर न्यायाधीशों के होश उड़ गए!

21 जुलाई को कश्मीरी आतंकी यासीन बिना बुलाए सुप्रीम कोर्ट में पेश हुआ था। कोर्ट में उसे देखकर जज नाराज हो गए थे। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा था कि हमने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था, जिसमें कहा गया हो कि उसे व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होना है।

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बिना निर्देश SC लेकर आए गए Yasin Malik को-

यह मुकदमा शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश सूर्य कांत की पीठ के समक्ष लिस्टेड था; इसकी सुनवाई नहीं हुई क्योंकि जस्टिस दत्ता ने खुद को सुनवाई से रिक्लूज कर लिया था।

जस्टिस दीपांकर दत्ता ने इस केस से खुद को अलग कर लिया –

टेरर फंडिंग केस में दोषी ठहराए जाने के बाद से यासीन तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। यासीन को 21 जुलाई को जम्मू कोर्ट के आदेश के खिलाफ CBI की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था।

यासीन के केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस दीपांकर दत्ता ने इस केस से खुद को अलग कर लिया है। जस्टिस दत्ता ने कहा कि इस केस की सुनवाई 4 हफ्ते बाद की जाएगी। इसकी सुनवाई दूसरी बेंच करेगी, जस्टिस दत्ता उसके सदस्य नहीं होंगे। उन्होंने कहा- अगर यासीन को अपनी कोई बात रखनी होगी तो वो वर्चुअली जुड़ेगा। उसे कोर्ट में पेश नहीं किया जाएगा।

सुनवाई तो नहीं हुई लेकिन दोनों न्यायाधीश अपनी अदालत में यासीन मलिक को मौजूद देख हक्का-बक्का रह गए! जैसा कि हमने आपको अभी बताया, यासीन मलिक की पेशी हेतु मौजूदगी का कोई भी निर्देश कोर्ट ने पारित नहीं किया था और इसलिए उन्हें कोर्ट में देख दोनों न्यायाधीशों के होश उड़ गए!

ज्ञात हो कि सीबीआई ने यह याचिका जम्मू कोर्ट के एक स्पेशल ऑर्डर के खिलाफ दायर की गई थी जिसमें जम्मू में कानूनी कार्यवाही के लिए यासीन मलिक की भौतिक रूप में उपस्थिति की मांग की गई थी। यह उपस्थिति दो मामलों में गवाहों के क्रॉस-इग्जैमिनेशन के लिए थी; एक मामला चार आईएएफ (IAF) कर्मियों के मर्डर का था और दूसरा मामला पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद (Mufti Muhammad Sayeed) की बेटी रुबइया सईद (Rubaiya Sayeed) के अपहरण का था जो 1989 में हुआ था।

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यासीन मलिक ने जेल प्राधिकारिण से किया ‘अनुरोध’-

मीडिया रिपोर्ट्स का यह कहना है कि यासीन मलिक को अदालत की तरफ से तो भौतिक उपस्थिति का कोई निर्देश नहीं मिला था लेकिन उन्होंने जेल प्राधिकरण से ‘अनुरोध’ किया था कि वो मामले में खुद मौजूद रहना चाहते हैं। उनकी ‘रिक्वेस्ट’ पर सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों के साथ यासीन मलिक को जेल से अदालत लेकर आया गया।

SG ने किया सख्त विरोध-

देश के सॉलिसिटर जनरल Tushar Mehta ने सुप्रीम कोर्ट में यासीन मलिक की उपस्थिति का कड़ा विरोध किया है और कहा है कि इस तरह बिना रेजिस्ट्रार की अनुमति के उपस्थिति गलत है। एसजी (SG) ने जेल के अधिकारियों पर भी गुस्सा व्यक्त किया और पीठ को सूचित किया कि यासीन मलिक को इस तरह जेल से बाहर नहीं लाया जा सकता है, उसपर ‘आपराधिक प्रक्रिया संहिता’ की धारा 268 (Section 268 of The Criminal Procedure Code) लगी हुई है।

इतना ही नहीं, एसजी तुषार मेहता ने गृह सचिव (Home Secretary) को इस मामले में लिखित रूप में अपनी आपत्ति दर्ज की है और कहा है कि ऐसा शख्स जिसकी आतंकवादी और अलगाववादी पृष्टभूमि रही है, जो न केवल आतंकी फंडिंग मामले में दोषी है बल्कि पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों के साथ भी उसके संबंध हैं, वो भाग सकता था, जबरन ले जाया जा सकता था या मारा जा सकता था।

एसजी ने आगे कहा कि अगर कोई अप्रिय घटना घटती तो सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा को भी गंभीर ख़तरा हो सकता था। अपने पत्र में एसजी तुषार मेहता ने गृह सचिव से कहा है कि उनका मानना है कि ये एक गंभीर सुरक्षा चूक है और वो इसे एक बेहद गंभीर मामला मानते हैं। गृह सचिव को इस मामले को अपने व्यक्तिगत संज्ञान में लेना चाहियए जिससे उनकी ओर से उचित कार्रवाई की जा सके, ऐसा एसजी का मानना है।

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