शीर्ष अदालत में एक पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन PIL याचिका फाइल कर ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरडी) को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह पोर्नोग्राफी सामग्री और दुष्कर्म के बीच सीधे लिंक का खुलासा करने वाली पुलिस की जांच का डाटा एकत्र करे। साथ ही इस काम को एक समयबद्ध तरीके से करने का निर्देश देने की भी अपील की गई है।
उक्त याचिका विद्वान अधिवक्ता नलिन कोहली ने दायर की है। उन्होंने अपनी याचिका में छह वर्षीय बच्ची की नृशंस हत्या मामले में पुलिस की जांच में हुए खुलासे का भी उल्लेख किया है।
पुलिस के खुलासे के अनुसार, अपराध में शामिल चार आरोपियों में से दो 8 और 11 साल के नाबालिग बच्चे हैं और ये सभी पोर्न के आदी थे। इसके बाद असम पुलिस ने दुष्कर्म, छेड़छाड़ और यौन अपराधों से जुड़े मामलों की जांच के दौरान जांच अधिकारियों को डिजिटल सुबूत एकत्र करने को लेकर दिशा निर्देश जारी किए गए और इनका पालन करने को कहा गया।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से सभी राज्यों के पुलिस संगठनों को पोर्नोग्राफी सामग्री देखने और दुष्कर्म के मामलों के बीच सीधे संबंध को लेकर समयबद्ध तरीके से डाटा एकत्र करने का निर्देश देने की मांग की। साथ ही दुष्कर्म और यौन हमलों के मामलों की जांच के दौरान पोर्नोग्राफी सामग्री देखने के पहलू को शामिल करने के लिए एसओपी तैयार करने पर विचार करने का भी आग्रह किया।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से यह भी अनुरोध किया कि वह प्रदेश सरकारों को तत्काल अपनी पुलिस और जांच एजेंसियों को इससे संबंधित डाटा बीपीआरडी को उपलब्ध कराने का निर्देश दे।
याचिका में कहा गया है कि देश के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं और निर्दोष बच्चों के खिलाफ यौन हमलों और दुष्कर्म के मामलों में बढ़ोतरी चिंताजनक है।