सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर बंद करने को लेकर सख्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि कोई सरकार हाइवे को कैसे ब्लॉक कर सकती है। सरकार का काम यातायात को रेगुलेट करना होता है। उसका काम हाइवे बंद करना नहीं होता है। दरअसल, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने शंभू बॉर्डर को खोलने के आदेश दिया है। बीते छह महीने से किसान दिल्ली कूच करने को लेकर यहां पर डटे हुए हैं। स्थानीय व्यापारियों ने बॉर्डर के बंद होने से हो रही परेशानियों को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने शंभू बॉर्डर को खोलने की मांग की थी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने यह टिप्पणी तब की, जब हरियाणा सरकार के वकील ने कहा कि राज्य हाईकोर्ट के 10 जुलाई के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की प्रक्रिया में है। कोर्ट ने उसे सात दिनों इंदर राजमार्ग खोलने का निर्देश दिया था। इस पर जस्टिस भुइयां ने कहा कि कोई राज्य राजमार्ग को कैसे अवरुद्ध कर सकता है? यातायात को संभालना उसका कर्तव्य है। हम कह रहे हैं कि इसे खोलें, लेकिन नियंत्रित भी करें।
सरकार से पूछा ये सवाल-
शंभू बॉर्डर को खोलने के पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की और हरियाणा सरकार से सवाल भी पूछा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार हाइवे के यातायात को कैसे रोक सकती है। सरकार का काम है कि वह यातायात को नियंत्रित करे। हमारा कहना है कि बॉर्डर को खुला रखा जाए, लेकिन उसको नियंत्रित भी करें।
हरियाणा सरकार को फटकार-
कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर राज्य सरकार हाई कोर्ट के बॉर्डर को खोलने के आदेश को चुनौती क्यों देना चाहती है। किसान नागरिक हैं, उन्हें भोजन और अच्छी चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जाए। वे आएंगे, नारे लगाएंगे और वापस चले जाएंगे। दरअसल, किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शन कर रहे 22 वर्षीय युवक की मौत की न्यायिक जांच के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार की दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की गई है।
कोर्ट ने पंजाब सरकार को भी कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए इसी तरह का निर्देश जारी किया था और कहा था कि उसकी तरफ से भी बैरिकेडिंग हटाई जानी चाहिए।