सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आंध्र प्रदेश, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर सरकारों से ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के नियम 170 को लागू करने में विफलता को लेकर जवाब तलब किया है। यह नियम आयुर्वेद, सिद्ध, और यूनानी (AYUSH) दवाओं के विज्ञापन को नियंत्रित करता है।
इसके साथ ही, सर्वोच्च न्यायालय ने इन तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों को अगली सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (VC) के माध्यम से उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
राज्यों ने नहीं किया आदेशों का पालन – सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइया की पीठ ने पाया कि उक्त राज्यों ने इस संबंध में पहले दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “जहां तक आंध्र प्रदेश, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर की बात है, हमने पाया कि इस अदालत के आदेशों का शायद ही कोई पालन किया गया है। जहां तक गोवा और गुजरात का सवाल है, आज हम उनकी अनुपालना की जांच नहीं कर रहे हैं क्योंकि हमें बताया गया है कि उन्होंने आगे हलफनामे दायर किए हैं।”
केंद्र सरकार की अधिसूचना पर रोक बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि उसने केंद्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा जुलाई 2024 में जारी अधिसूचना पर रोक लगा दी थी, जिसमें नियम 170 को हटा दिया गया था।
नियम 170 के तहत, आयुर्वेद, सिद्ध, या यूनानी दवाओं के निर्माताओं को विज्ञापन प्रकाशित करने से पहले लाइसेंसिंग अनुमति लेना अनिवार्य है।
राज्यों को 7 मार्च तक हलफनामा दायर करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर सहित गुजरात और गोवा को भी निर्देश दिया कि वे 7 मार्च 2025 तक नियम 170 को लागू करने के संबंध में अपने हलफनामे दायर करें।
गुजरात और गोवा सरकारों के वकीलों ने अदालत को सूचित किया कि उन्होंने इस संबंध में अतिरिक्त हलफनामे दाखिल कर दिए हैं।
इस पर, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह इन दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की उपस्थिति को लेकर कोई भी निर्देश उनके हलफनामों की समीक्षा के बाद देगा।
28 फरवरी को होगी अन्य राज्यों की अनुपालना पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अन्य राज्यों में नियम 170 के अनुपालन से संबंधित मामले की सुनवाई 28 फरवरी 2025 को होगी।
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