सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: केरल जल प्राधिकरण में सहायक अभियंता पद पर नियुक्ति के बाद डिग्री या डिप्लोमा कोटा चुनने का विकल्प उपलब्ध
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति केरल जल प्राधिकरण में सहायक अभियंता के रूप में नियुक्त होता है, तो उसे पदोन्नति के लिए डिग्री या डिप्लोमा कोटा में से किसी एक का चयन करने का विकल्प प्राप्त होता है।
उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपील स्वीकार की
केरल जल प्राधिकरण के कर्मचारियों (अपीलकर्ताओं) द्वारा दायर अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केरल उच्च न्यायालय की खंडपीठ के फैसले को निरस्त कर दिया। उच्च न्यायालय ने एकल न्यायाधीश द्वारा दिए गए निर्णय को बरकरार रखते हुए कहा था कि यदि कोई सहायक अभियंता पदोन्नति के समय डिप्लोमा कोटा चुनता है, तो वह आगे की पदोन्नति के लिए डिग्री कोटा में स्थानांतरित नहीं हो सकता।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने अपने फैसले में कहा:
“यह न्यायालय भी इस विचार से सहमत है कि एक बार जब कोई व्यक्ति सहायक अभियंता के रूप में नियुक्त हो जाता है—जो कि विशेष नियम, 1960 के तहत एक अलग सेवा के रूप में विनियमित पद है—तो उस व्यक्ति को, इस बात से इतर कि उसने इस पद पर नियुक्ति कैसे प्राप्त की, डिग्री या डिप्लोमा कोटा में से किसी एक को चुनने का विकल्प उपलब्ध होगा, बशर्ते कि उसने डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त किया हो।”
मामले की संक्षिप्त पृष्ठभूमि
अपील छह कर्मचारियों द्वारा दायर की गई थी, जो प्रारंभ में ड्राफ्ट्समैन-ग्रेड I के रूप में नियुक्त हुए थे और बाद में उन्हें सहायक अभियंता के रूप में पदोन्नत किया गया था। विवाद वरिष्ठता सूची को लेकर उत्पन्न हुआ, जिसमें अपीलकर्ताओं को निजी प्रतिवादियों से ऊपर स्थान दिया गया था।
निजी प्रतिवादियों ने, जो कि 6% इन-सर्विस डिग्री-योग्य कोटा के तहत सीधे सहायक अभियंता के रूप में भर्ती हुए थे, इस सूची को चुनौती दी। उनका तर्क था कि अपीलकर्ताओं ने 40% डिप्लोमा कोटा के तहत पदोन्नति प्राप्त करने के बावजूद अनुचित रूप से वरिष्ठता अर्जित कर ली।
सुप्रीम कोर्ट का तर्क
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया:
“विशेष नियम, 1960 एक अलग सेवा को नियंत्रित करते हैं, और इसके नियम 4(बी) का उस स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, जब कोई अधिकारी सहायक अभियंता बनने से पहले ड्राफ्ट्समैन या ओवरसियर के रूप में कार्यरत होता है। ये वे पदाधिकारी होते हैं, जिन्होंने डिग्री और डिप्लोमा दोनों योग्यताएँ प्राप्त की होती हैं और जो सहायक अभियंता के पद के लिए 6% प्रतियोगी परीक्षा में बैठने का विकल्प चुनते हैं। स्पष्ट शब्दों में कहें, तो नियम 4(बी) इस बात से संबंधित नहीं है कि किसी व्यक्ति को सेवा में सहायक अभियंता (फीडर पोस्ट) के रूप में किस प्रकार नियुक्त किया गया।”
न्यायालय ने आगे कहा कि एकल न्यायाधीश ने इस मुद्दे को गलत तरीके से व्याख्यायित किया, यह मानते हुए कि सीधे भर्ती किए गए सहायक अभियंता और विभागीय कोटे से पदोन्नति पाने वाले अभियंता अलग-अलग श्रेणियों में रखे जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का निष्कर्ष
अतः सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया:
“तदनुसार, प्रस्तुत अपीलें स्वीकार की जाती हैं और एकल न्यायाधीश एवं खंडपीठ द्वारा पारित निर्णयों को निरस्त किया जाता है। यदि कोई लंबित आवेदन है, तो वह भी इस निर्णय के साथ समाप्त समझा जाएगा।”
इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट ने अपील स्वीकार कर ली।
वाद शीर्षक – सजीथाबाई एवं अन्य बनाम केरल जल प्राधिकरण एवं अन्य
वाद संख्या – न्यूट्रल साइटेशन: 2025 INSC 354
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