nd: देश के प्रतिष्ठित Jawaharlal Nehru University (JNU) में आज PM Narendra Modi ने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया. इस वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि यह प्रतिमा छात्रों में करुणा का भाव पैदा करेगी क्योंकि स्वामी विवेकानंद के दर्शन का मुख्य आधार ही करुणा था.
प्रधानमंत्री मोदी ने JNU में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद युवाओं को आह्वान किया कि कोई भी विचारधारा राष्ट्र के विरोध में नहीं होनी चाहिए. इमरजेंसी के दौर का उदाहरण देते हुए पीएम मोदी अपनी बात को आगे बढ़ाया.
विचारधारा राष्ट्र के साथ खड़ी दिखनी चाहिए
पीएम मोदी ने कहा कि आज हर किसी को अपनी विचारधारा पर गर्व है. लेकिन हमारी विचारधारा राष्ट्र के साथ खड़ी दिखनी चाहिए. राष्ट्र के खिलाफ कतई नहीं. बापू के नेतृत्व में किसी को अपनी विचारधारा छोड़नी नहीं पड़ी. सब देश के साथ खड़े थे. आपातकाल में भी सब एकजुट थे. मैं भी उस आन्दोलन का हिस्सा था. उस आन्दोलन में कांग्रेस, जनसंघ और आरएसएस के लोग जेएनयू के लोग सभी साथ आकर राष्ट्रहित में इमरजेंसी के खिलाफ थे.
स्वामी जी ने यह भी कहा था – बल ही जीवन है और दुर्बलता ही मरण । बल ही अनन्त सुख है, अमर और शाश्वत जीवन है, और दुर्बलता ही मृत्यु ।
साबरमती ढाबे की बात
पीएम मोदी ने कहा कि “जेएनयू में एक फेमस जगह है साबरमती ढाबा जहां सब लोग अपनी बौद्धिक भूख मिटाते है. अब एक और जगह मिल गई है. राष्ट्रहित से ज़्यादा अपने विचारधारा को आगे बढ़ाना सही नही है. राष्ट्र के खिलाफ कत्तई नही दिखनी चाहिए .देश के लिए महात्मा गांधी के समय भी समान विचार बने थे इमरजेंसी के समय भी एकजुट होकर सब लोग लड़े थे. सबका उद्देश्य एक ही था राष्ट्रहित था. अलग से देश का नुकसान होता है. स्वार्थ की आड़ में विचारधारा चलाना गलत है.”
पीएम ने आगे कहा, “स्वामी जी के भाषण के बाद अमेरिकी विद्वानों ने कहा था 21 वीं सदी भारत की है. इस भविष्यवाणी को सच करने की ज़िम्मेदारी हम सबकी है. आत्मनिर्भर बनने के लिए हम सभी जुट कर काम करें. रिफॉर्म्स को लेकर क्या क्या बातें हुईं. गुड रिफॉर्म्स को बैड पॉलिटिक्स माना जाता था. इस पर जेएनयू के छात्र रिसर्च करें.”