ताज महल पर कई किताबों की जांच की और एक किताब में कहा गया है कि शाहजहां की पत्नी आलिया बेगम थीं और मुमताज महल का कोई जिक्र नहीं है
दिल्ली उच्च न्यायलय में प्रस्तुत पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन में दावा किया गया कि ताजमहल शाहजहां ने नहीं बनावाया था. याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार को ताज महल का सही इतिहास प्रकाशित करने का निर्देश देने की मांग की गई है. जनहित याचिका स्वीकार करते हुए उस पर सुनवाई हुई.
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने याचिका पर सुनवाई और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) को इस संदर्भ में जानकारी देने को कहा.
याचिका सुरजीत सिंह यादव ने दाखिल की है जो कि हिंदू सेना के अध्यक्ष हैं. याचिका में दावा किया गया कि ताज महल मूल रूप से राजा मान सिंह का महल था जिसे बाद में मुगल सम्राट शाहजहां ने पुनर्निर्मित किया था. याचिका वकील शशि रंजन कुमार सिंह और महेश कुमार के माध्यम से दायर की गई थी.
इसलिए, याचिकाकर्ता ने एएसआई, केंद्र सरकार, भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार और उत्तर प्रदेश सरकार को इतिहास की किताबों से ताज महल के निर्माण से संबंधित ऐतिहासिक रूप से गलत तथ्यों को हटाने और एएसआई को इस बारे में जांच करने के निर्देश जारी करने की मांग की है.
जनहित याचिका में क्या-क्या कहा गया है?
याचिका में यादव ने दावा किया कि उन्होंने ताज महल के बारे में गहन अध्ययन और शोध किया है और इतिहास के तथ्यों को सुधारना और लोगों को ताज महल के बारे में सही जानकारी देना महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि उन्होंने ताज महल पर कई किताबों की जांच की और एक किताब में कहा गया है कि शाहजहां की पत्नी आलिया बेगम थीं और मुमताज महल का कोई जिक्र नहीं है.
प्रस्तुत याचिका में आगे कहा कि उन्होंने ‘ताज म्यूजियम’ नामक पुस्तक के लेखक जेडए देसाई का हवाला दिया, जिसके अनुसार मुमताज महल को दफनाने के लिए एक “ऊंची और सुंदर” जगह का चयन किया गया था, जो राजा मान सिंह की हवेली थी. दफ़नाने के समय यह उनके पोते राजा जय सिंह के कब्ज़े में था.
याचिकाकर्ता का कहना है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने उल्लेख किया है कि 1631 में मुमताज महल की मृत्यु के छह महीने बाद, उनके शरीर को ताज महल के मुख्य मकबरे के तहखाने में स्थापित करने के लिए आगरा में स्थानांतरित कर दिया गया था. यह ताज महल के लिए उसी वेब पेज पर दी गई जानकारी के विपरीत है, जहां एएसआई ने दावा किया है कि 1648 में स्मारक परिसर को पूरा होने में 17 साल लगे थे. यह एएसआई द्वारा उसी वेब पेज पर दी गई उपरोक्त जानकारी के विपरीत है. मुमताज महल की मृत्यु के छह महीने बाद उनके शरीर को ताज महल के मुख्य मकबरे के तहखाने में दफनाया गया था क्योंकि अगर ताज महल को 1648 में पूरा होने में 17 साल लगे थे तो 1631 में उनका शव छह महीने के भीतर कैसे आया? इसे ताज महल के मुख्य मकबरे में स्थापित किया गया था, जबकि एएसआई ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि ताज महल 1648 में बनकर तैयार हुआ था.
याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि इस हवेली को कभी ध्वस्त नहीं किया गया था. ताज महल की वर्तमान संरचना कुछ और नहीं बल्कि “राजा मान सिंह की हवेली नवीनीकरण है.
याचिका में कहा गया-
“ताज संग्रहालय नामक पुस्तक में कहा गया है कि मुमताज महल का मृत शरीर राजा जय सिंह के भूमि परिसर के भीतर एक अस्थायी गुंबददार संरचना के तहत दफनाया गया था. ऐसा कोई विवरण नहीं है जो बताता हो कि राजा मान सिंह की हवेली को ताज महल के निर्माण के लिए ध्वस्त किया गया था. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ASI ने ताज महल पर परस्पर विरोधी और विरोधाभासी जानकारी प्रदान की है.”