तीस्ता सीतलवाड़ को सुबह हाई कोर्ट से झटका रात 10 बजे सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों ने दी मामले में राहत

तीस्ता सीतलवाड़ को सुबह हाई कोर्ट से झटका रात 10 बजे सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों ने दी मामले में राहत

सुप्रीम कोर्ट ने रात करीब 10 बजे सुनवाई की तीस्‍ता सीतलवाड़ मामले की। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने उन्‍हें राहत दी। सुबह गुजरात हाईकोर्ट ने सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने उन्‍हें तत्‍काल सरेंडर करने के लिए कहा था। इस फैसले के खिलाफ उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

तीस्‍ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सीतलवाड़ को जमानत मिल गई है। तीन जजों की पीठ ने तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर शनिवार रात 9:15 बजे विशेष सुनवाई की। रात में सुनवाई की नौबत गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के बाद आई। दिन में हाईकोर्ट ने सीतलवाड़ को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया था। सीतलवाड़ इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच में मामले पर मतभेद हुआ। इसे तीन जजों की बेंच के पास भेज दिया गया। तीन जजों की बेंच ने सीतलवाड़ को तत्काल राहत दे दी। हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक दिनभर जिस तरह यह मामला घूमा वह बहुत कम देखने को मिलता है। आइए, इस मामले की पूरी टाइमलाइन को देखते हैं।

गुजरात हाईकोर्ट ने कहा- तुरंत सरेंडर करो

मामला 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों से जुड़ा है। निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर साक्ष्य गढ़ने से यह केस संबंधित है। दिन में गुजरात हाई कोर्ट ने सीतलवाड़ की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी। न्यायमूर्ति निर्झर देसाई ने उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था। पिछले साल सितंबर में शीर्ष अदालत से अंतरिम जमानत हासिल करने के बाद सीतलवाड़ जेल से बाहर थीं। कोर्ट ने टिप्पणी की कि सीतलवाड़ ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने और तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि धूमिल कर उन्हें जेल भिजवाने की कोशिश की। इस तरह न्यायमूर्ति देसाई की अदालत ने 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए साक्ष्य गढ़ने से जुड़े मामले में सीतलवाड़ की जमानत अर्जी खारिज कर दी। उन्‍होंने कहा कि उनकी रिहाई से गलत संदेश जाएगा। अदालत ने फैसला सुनाए जाने के बाद सीतलवाड़ के वकील की ओर से 30 दिन तक आदेश के अमल पर रोक लगाने के अनुरोध को भी मानने से इनकार कर दिया।

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सीतलवाड़ ने क‍िया सुप्रीम कोर्ट का रुख, जजों में मतभेद-

सीतलवाड़ इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच में मामले पर मतभेद हो गया। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने विशेष सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश से इस मामले को एक बड़ी पीठ को सौंपने का आग्रह किया। पीठ ने कहा, ‘जमानत देने के सवाल पर हमारे बीच मतभेद हैं। इसलिए हम प्रधान न्यायाधीश से इस मामले को एक बड़ी पीठ को सौंपने का अनुरोध करते हैं।’

तीन जजों की बेंच ने की सुनवाई, 10 बजे दी राहत-

सीतलवाड़ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की पीठ ने रात 9:15 बजे विशेष बैठक में सुनवाई की। तीन जजों की बेंच ने सीतलवाड़ को तत्काल राहत दे दी है। तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर शनिवार को तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की थी। सुनवाई रात 9.15 पर शुरू हुई. जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच के सामने मामले को रखा गया। असल में तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात हाईकोर्ट ने शनिवार को उनकी जमानत याचिका रद्द करते हुए सरेंडर करने को कहा था। इस फैसले के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट गई थीं।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष दो सितंबर को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की अंतरिम जमानत मंजूर कर ली थी। साथ ही पीठ ने सीतलवाड़ को गुजरात हाई कोर्ट में नियमित जमानत याचिका पर निर्णय होने तक अपना पासपोर्ट निचली अदालत के पास जमा कराने का निर्देश दिया था। सीतलवाड़ तीन सितंबर को जेल से बाहर आ गई थीं। 27 फरवरी 2002 को गोधरा के निकट साबरमती एक्सप्रेस का एक डिब्बा जलाए जाने की घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवक मारे गए थे। इसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे।

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश-

तमाम दलीलें सुनने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को एक सप्ताह की सुरक्षा दी। इसके साथ ही कहा, मामले को उचित पीठ के समक्ष रखा जाएगा। कोर्ट के इस आदेश का सीधा अर्थ है कि तीस्ता को सरेंडर नहीं करना पड़ेगा।
उनकी गिरफ्तारी पर हफ्ते भर के लिए रोक लग गई है। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर अमल को हफ्ते भर से रोक दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि इस दौरान तीस्ता की गिरफ्तारी पर रोक रहेगी। इस बीच तीस्ता सुप्रीम कोर्ट की नियमित पीठ के समक्ष गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दे सकती हैं।

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