हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने तीन दिन से जारी आंदोलन स्थगित करते हुए सोमवार से न्यायिक कार्य करने का निर्णय लिया

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने तीन दिन से जारी आंदोलन स्थगित करते हुए सोमवार से न्यायिक कार्य करने का निर्णय लिया

  • भारतीय विधि आयोग ने अपनी 230वीं रिपोर्ट में उच्च न्यायालयों में ‘अंकल जजों’ की नियुक्ति के मामले का उल्लेख किया है, जिसमें कहा गया है कि जिन जजों के परिजन किसी उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस कर रहे हैं, उन्हें उसी उच्च न्यायालय में नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए।

चीफ जस्टिस अरुण भंसाली के आश्वासन पर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सुनवाई के दौरान वकीलों के प्रति व्यवहार और परंपराओं के पालन सहित विभिन्न परेशानियों को लेकर तीन दिन से जारी आंदोलन स्थगित करते हुए सोमवार से न्यायिक कार्य करने का निर्णय लिया है।

मुख्य न्यायाधीश की तरफ से मांगों के संबंध में सकारात्मक पहल का आश्वासन दिए जाने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट की प्रधानपीठ प्रयागराज के अधिवक्ताओं ने अपना आंदोलन स्थगित कर सोमवार से न्यायिक कार्य करने का निर्णय लिया। अब सोमवार से कामकाज सामान्य हो जाएगा। आंदोलन स्थगित करने की घोषणा हाई कोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद की कार्यकारिणी की बैठक में की गई। वैसे शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन हड़ताल से न्यायिक कामकाज प्रभावित रहा।

मांगे पूरी करने का भरोसा मिला-

अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल तिवारी की अध्यक्षता तथा महासचिव विक्रांत पांडेय के संचालन में नए पदाधिकारी कक्ष में बार एसोसिएशन कार्यकारिणी की बैठक दोपहर एक बजे हुई। इसमें बताया गया कि चीफ जस्टिस ने आश्वासन दिया है कि मांगों को पूरा करने की दिशा में पूरा प्रयास किया जाएगा। पहला कदम 11 जुलाई को उठाया जा चुका है। महासचिव के अनुसार यह जमानत और अग्रिम जमानत अर्जियों की सुनवाई की नई व्यवस्था का है। इस जानकारी के बाद कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से आंदोलन को फिलहाल स्थगित करने का निर्णय लिया। कार्यकारिणी ने यह भी निर्णय लिया है कि मुख्य न्यायमूर्ति से ऐसे किसी अधिवक्ता का नाम न्यायमूर्ति के रूप में प्रस्तावित नहीं करने का आग्रह किया जाएगा जिसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत नहीं की हो।

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जाने-अंजाने करते हैं कार्यवाही-

पदाधिकारियों ने बताया कि मु्ख्य न्यायमूर्ति से ‘अंकल जज सिंड्रोम’ मुद्दे पर भी विचार कर उचित निर्णय लेने का आग्रह किया गया है। यह कहा गया कि पिछले तीन दिनों में कार्यकारिणी द्वारा पारित प्रस्ताव सारे न्यायमूर्तियों के विरुद्ध नहीं हैं बल्कि उन न्यायमूर्तियों के विरुद्ध हैं जो इस प्रकार की कार्यवाही जाने-अनजाने करते हैं। संयुक्त सचिव (प्रेस) पुनीत कुमार शुक्ला की विज्ञप्ति के अनुसार विचार विमर्श के दौरान वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश खरे, उपाध्यक्षों सर्वश्री अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी, अखिलेश कुमार मिश्र, सुभाष चंद्र यादव, नीरज त्रिपाठी, नीलम शुक्ला के अलावा संयुक्त सचिव (प्रशासन) सुमित कुमार श्रीवास्तव, संयुक्त सचिव (लाइब्रेरी) अभिजीत कुमार पाण्डेय, संयुक्त सचिव (महिला) आंचल ओझा, कोषाध्यक्ष रणविजय सिंह एवं कार्यकारिणी सदस्यों में उदिशा त्रिपाठी, अवधेश कुमार मिश्र, अभिषेक तिवारी, राजेश शुक्ला, सर्वेश्वर लाल श्रीवास्तव तथा बलदेव शुक्ला की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

29 जुलाई को कार्यकारिणी अग्रिम कार्यवाही के लिए फिर बैठक करेगी। कार्यकारिणी ने यह भी निर्णय लिया कि मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया जाएगा कि ऐसे किसी अधिवक्ता का नाम न्यायाधीश के लिए प्रस्तावित न किया जाए, जो हाईकोर्ट बार एसोसिएशन या अवध बार एसोसिएशन सदस्य न हो। यह भी प्रस्ताव पास किया गया कि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन मुख्य न्यायाधीश से ‘अंकल जज सिंड्रोम’ के मुद्दे पर विचार कर निर्णय लेने का आग्रह करेगा।

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