’30-40 वकीलों के नाम 10 पेज में होते और आदेश केवल कुछ पन्नों का’ सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी वस्तु स्थिति पर अपनी चिंता जताई

'30-40 वकीलों के नाम 10 पेज में होते और आदेश केवल कुछ पन्नों का' सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी वस्तु स्थिति पर अपनी चिंता जताई

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मुकदमों में ‘बड़ी संख्या में वकील अपनी मौजूदगी दर्ज कराने वाली’ वस्तु स्थिति पर अपनी चिंता जताई और कहा की मुकदमे में वकीलों के नाम कई पेज में होते हैं, जबकि आदेश केवल कुछ पन्नों का होता है।

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा कि यदि कोई वकील अदालत की ‘प्रभावी तरीके से’ मदद कर रहा है तो उसे उपस्थिति जोड़ने में कोई समस्या नहीं है।

पीठ ने कहा कि ‘वकीलों के नाम 10 पेज में होते हैं और आदेश केवल कुछ पन्नों का। कोर्ट ने कहा की हम इस बारे में कोई आदेश पारित नहीं कर रहे हैं कि आदेश में वकीलों के नाम कैसे शामिल किए जाएं। चूंकि आप बार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, इसलिए हम आपकी बात सुन रहे हैं।’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालांकि, कई वकील मामले में बहस करने वाले वकील के साथ पेश हुए, लेकिन जब उनसे कहा गया तो किसी ने बहस नहीं की। बेंच ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कहा कि ‘या फिर हमें साफ रूप से कहना पड़ेगा कि आपका कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। वकील से जो भी जुड़ा है, उनके नाम शामिल किये जाएं। ऐसा नहीं किया जा सकता। जब हम देखेंगे कि वे प्रभावी रूप से आपकी सहायता कर रहे हैं, तो उनके नाम वहां होंगे। हम आदेश पारित करेंगे।’

‘पैरवी के लिए एक साथ 30-40 वकीलों के नाम नहीं’

कपिल सिब्बल ने कहा कि SCBA और ‘सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन’ इस मुद्दे को विनियमित करने के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि ‘आप सही हैं, 30-40 नाम नहीं दिए जा सकते। लेकिन कुछ उचित, निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए जो वास्तविक लोग यहां हैं और उनके नाम जोड़े जाने चाहिए।’ सुप्रीम कोर्ट, बार संघों की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें एक विशेष मामले में उपस्थित और पेश होने वाले सभी वकीलों को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की अनुमति देने के लिए एक समान दिशानिर्देशों के संबंध में उनके प्रशासन को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। पिछले साल 20 सितंबर को पारित एक आदेश में, शीर्ष अदालत ने कहा था कि ‘एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड’ केवल उन वकीलों की उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं, जिन्हें अदालत में उपस्थित होने और सुनवाई के दिन बहस करने के लिए अधिकृत किया गया है।

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सुप्रीम कोर्ट में बड़ी संख्या में वकील होते हैं पेश

आदेश में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 30 दिसंबर 2022 को जारी नोटिस के अनुसार, केवल ‘एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड’ ही वेबसाइट पर दिये गए लिंक या सुप्रीम कोर्ट के ऑफिस मोबाइल ऐप के जरिये अदालत में उपस्थित होने वाले वकीलों की उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि नोटिस में कहीं भी वकीलों को उन वकीलों की उपस्थिति दर्ज करने की अनुमति नहीं दी गई है जो अदालत में उपस्थित होने या मामले पर बहस करने के लिए अधिकृत नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश उस मामले में CBI जांच का आदेश देते हुए आया, जिसमें एक याचिकाकर्ता ने अपील दायर करने से इनकार कर दिया और दावा किया कि उसने अदालत में मौजूद किसी भी वकील को अपनी ओर से मामला दायर करने के लिए कभी नियुक्त नहीं किया था।

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