पुणे की अदालत ने राहुल गांधी के विरुद्ध मानहानि मामले में सुनवाई को नियमित सुनवाई में परिवर्तित किया, समरी ट्रायल नहीं होगा

पुणे की अदालत ने राहुल गांधी के विरुद्ध मानहानि मामले में सुनवाई को नियमित सुनवाई में परिवर्तित किया, समरी ट्रायल नहीं होगा

पुणे की अदालत ने राहुल गांधी के विरुद्ध मानहानि मामले में सुनवाई को नियमित सुनवाई में परिवर्तित किया, समरी ट्रायल नहीं होगा

📌 मामले का सारांश:

  • मामला: मानहानि (Defamation)
  • शिकायतकर्ता: सात्यकी सावरकर (वीर सावरकर के परपोते)
  • प्रतिवादी: राहुल गांधी
  • विवादित वक्तव्य: लंदन में दिए गए भाषण में वीर सावरकर के विरुद्ध कथित झूठे आरोप
  • न्यायालय: एमपी-एमएलए विशेष अदालत, पुणे
  • आदेश: समरी ट्रायल अस्वीकार, मामला नियमित सुनवाई के तहत चलेगा

विशेष न्यायालय रिपोर्ट: पुणे स्थित सांसद-विधायक विशेष अदालत (MP-MLA कोर्ट) के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अमोल शिंदे ने एक अहम आदेश में राहुल गांधी की उस याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसके माध्यम से उन्होंने मानहानि के मामले को संक्षिप्त (समरी) सुनवाई के बजाय नियमित (रेगुलर) सुनवाई के अंतर्गत स्थानांतरित करने की प्रार्थना की थी।

न्यायालय की टिप्पणी:
न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह मामला प्रथम दृष्टया समन ट्रायल की श्रेणी में आता है, जिसमें न केवल तथ्यात्मक, बल्कि कानूनी दृष्टि से जटिल प्रश्नों का निर्धारण आवश्यक है। न्यायालय ने यह भी कहा कि,

मामले में ऐतिहासिक तथ्यों की जांच और निर्धारण की आवश्यकता है, जिसके लिए गवाहों की जिरह एवं साक्ष्य की विस्तृत पड़ताल जरूरी होगी। ऐसे में समरी ट्रायल न्याय के हित में उपयुक्त नहीं है।

न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि नियमित सुनवाई से अभियुक्त को अपने बचाव हेतु पर्याप्त अवसर मिल सकेगा, जिसमें वह प्रमाण प्रस्तुत कर सकेंगे और शिकायतकर्ता के गवाहों की विधिवत जिरह कर सकेंगे।

क्या है मामला?
यह मामला वीर सावरकर के परपोते सात्यकी सावरकर द्वारा मार्च 2023 में दर्ज की गई शिकायत से संबंधित है। सात्यकी सावरकर ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने लंदन में एक सार्वजनिक भाषण के दौरान वीर सावरकर के विरुद्ध झूठे, दुर्भावनापूर्ण और मानहानिकारक वक्तव्य दिए। शिकायत में कहा गया कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में यह दावा किया कि वीर सावरकर ने एक पुस्तक में लिखा है कि उन्होंने और उनके कुछ साथियों ने एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की थी।

शिकायतकर्ता के अनुसार, “ऐसा कोई उल्लेख न तो सावरकर की किसी पुस्तक में है, न ही इस प्रकार की कोई ऐतिहासिक घटना घटित हुई है।” उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रकार के भ्रामक वक्तव्यों से न केवल वीर सावरकर की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक विरासत के विरुद्ध दुष्प्रचार है।

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प्रतिवादी पक्ष की दलील:
राहुल गांधी के अधिवक्ता मिलिंद पवार ने दलील दी कि मामला जटिल ऐतिहासिक तथ्यों एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक अधिकारों से जुड़ा है, जो संक्षिप्त सुनवाई के दायरे में नहीं लाया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि विस्तृत बहस, साक्ष्य व गवाहों की जिरह के बिना निष्पक्ष निर्णय नहीं लिया जा सकता।

न्यायालय का निष्कर्ष:
न्यायालय ने यह स्वीकार किया कि संक्षिप्त सुनवाई की प्रक्रिया में प्रक्रियात्मक सीमाएं होती हैं और ऐसे संवेदनशील व जटिल मामलों में नियमित सुनवाई ही न्यायिक विवेक के अनुरूप है।
इस प्रकार, अब यह मामला नियमित सुनवाई के रूप में आगे बढ़ेगा, जहां सभी पक्षों को विस्तृत रूप से अपने-अपने साक्ष्य व तर्क प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त होगा।

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