Jabalpur Bench Madhya Pradesh High Court

आइएएस अधिकारी बताकर बलात्कार करने वाला निकला फर्जी, एफआईआर निरस्त मामले में हाई कोर्ट ने रखा फैसला सुरक्षित-

खुद को आइएएस अधिकारी बताकर बलात्कार के मामले में दर्ज एफआईआर को निरस्त किए जाने के लिए हाईकोर्ट पहुंचे आरोपी की बढ़ी मुश्किल और उसका दावा फर्जी निकला है।

न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ के समक्ष एक मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के सिविल सेवा में चयन के दस्तावेज फर्जी निकले। याचिकाकर्ता ने खुद को IAS बताते हुए दुष्कर्म की FIR निरस्त कराने हाई कोर्ट की शरण ली थी। उसने दस्तावेज प्रस्तुत कर दावा किया था कि 2019 में सिविल सेवा में चयन हुआ था।

याचिकाकर्ता नरसिंहपुर निवासी वीर सिंह राजपूत के खिलाफ बलात्कार का मामला पंजीकृत हुआ। उस पर आरोप है कि वह नरसिंहपुर में कोचिंग क्लास चलाता था। उसके यहां पढऩे आने वाली एक छात्रा को झांसा दिया कि 2019 में उसका यूपीएससी में चयन हो गया है और जम्मू-कश्मीर कॉडर आवंटित किया गया है। छात्रा से शादी का वादा करके उसने बलात्कार किया। दूसरी जगह शादी करने की तैयारी में था, तब छात्रा ने पूरे मामले की पड़ताल की तो पता चला कि उसका यूपीएससी में चयन नहीं हुआ है और फर्जीवाड़ा कर रहा है। छात्रा की शिकायत पर उस बलात्कार का मामला दर्ज किया गया।

2019 में नहीं हुआ था उसका सिविल सेवा में चयन –

कथित पीड़िता द्वारा दुष्कर्म कीFIRदर्ज कराने से करियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। हाई कोर्ट ने दस्तावेजों की जांच के निर्देश दिए, जिसके बाद जांच रिपोर्ट पेश हुई। जिससे साफ हुआ कि याचिकाकर्ता झूठा है। 2019 में उसका सिविल सेवा में चयन नहीं हुआ था। बहरहाल, हाई कोर्ट ने जांच रिपोर्ट को अभिलेख पर लेकर मामले में अपना आदेश सुरक्षित कर लिया।

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महिला थाने में दर्ज दुष्कर्म की रिपोर्ट फर्जी-

याचिकाकर्ता नरसिंहपुर निवासी वीर सिंह राजपूत की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि महिला थाने में दुष्कर्म की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई गई। लिहाजा,FIRनिरस्त करने का आदेश पारित किया जाए। वह वर्तमान में प्राेविजनल नियुक्ति पर है। उसका स्थानांतरण जम्मू-कश्मीर से मध्य प्रदेश हुआ है। वह एक प्रशासनिक अधिकारी है। दुष्कर्म के प्रकरण की वजह से उसका भविष्य खतरे में है।

सूची में कोई वीर सिंह नामक व्यक्ति चयनित ही नहीं

सुनवाई के दौरान पीड़िता की ओर से अधिवक्ता मोहम्मद अली व अभिमन्यु सिंह ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि प्रस्तुत किए गए दस्तावेज फर्जी हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सिविल सेवा चयन की सूची में कोई वीर सिंह नामक व्यक्ति चयनित ही नहीं हुआ है। वह हाई कोर्ट की सहानुभूति पाने के लिए गुमराह करने की कवायद कर रहा है। हाई कोर्ट ने इस तर्क को गंभीरता से

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