छठ की छठा: मेलबर्न में भी दिया अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य, घाट पर 50 लोगों को मिली अनुमति

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एक समय था की छठ पर्व सिर्फ़ बिहार तक ही सीमित था लेकिन आज सिर्फ़ हिंदुस्तान ही नहीं इससे विश्व के कोने कोने धूमधाम से मनाया जाता है.

मेलबर्न: एक समय था की छठ पर्व सिर्फ़ बिहार तक ही सीमित था लेकिन आज सिर्फ़ हिंदुस्तान ही नहीं इससे विश्व के कोने कोने धूमधाम से मनाया जाता है.मेल्बर्न के करीबन 200 परिवार ने छठ पर्व को यहां बिहार की धरोहर के तौर पर लेकर आया.

पिछले साल काफी कोशिशों के बाद विक्टोरिया गवर्मेंट ने इसे ककरूक झील में छठ मनाने की अनुमति दी. पिछली साल की क़रीबन 500 से भी अधिक लोगों ने यहां पहुंचकर छठ मनाया था. तो वहीं, भीड़ देखकर इस साल इससे और बड़ा करने की कोशिश थी.

लेकिन कोविड की वजह से सिर्फ़ 50 लोगों को ही छठ घाट पर मनाने की अनुमति मिल पायी. इन सब के बाबजूद वहां के लोगों ने इसे उतने ही धूमधाम से मनाने की पूरी कोशिश इन भारतीयों के रही हैं. यहां काफी उल्लास पूर्वक छठ पर्व के अवसर पर डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया गया.

आपको बता दें कि आज छठ के तीसरे दिन अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. वहीं, शनिवार को उदायमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. कोरोना के बावजूद बिहार में छठ की छठा देखने को मिल रही है और हर कोई बिहार में छठ धूमधाम से मना रहा है.

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