सर्वोच्च अदालत ने सख्त लहजे में कहा कि बार-बार एक ही तरह कि याचिका क्यों? याचिका खारिज

सर्वोच्च अदालत ने सख्त लहजे में कहा कि बार-बार एक ही तरह कि याचिका क्यों? याचिका खारिज

Supreme Court Of India on Shambho Border : सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर से किसानों को हटाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। सर्वोच्च अदालत ने सख्त लहजे में कहा कि बार-बार एक ही तरह कि याचिका क्यों दाखिल हो रही है? इस सिलसिल में पहले ही से मामला लंबित है, फिर क्यों ऐसी याचिका दाखिल हो रही है?

अदालत ने कहा कि वो इस याचिका को पहले ही से लंबित मामलों के साथ नहीं सुनेगी, इससे खराब संदेश जाता है और हम याचिका खारिज कर रहे हैं। बता दे कि सर्वोच्च अदालत की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की पीठ से किसानों को हाईवे से हटाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

अदालत सख्त कही ये बात-

जस्टिस सूर्यकांत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि कोई ये मुकदमेबाजी प्रचार के लिए हो रही है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि किसानों की शिकायतों से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सभी रचनात्मक कदम उठाए हैं, मेरी याचिका यात्रियों को हो रही दिक्कत को लेकर है।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा किहम हर चीज से वाकिफ हैं, ऐसा नहीं है कि याचिकाकर्ता अकेला ही समाज का जागरूक रक्षक है और बाकी लोग जागरूक नहीं हैं। बार-बार एक ही मामले पर याचिका दायर न करें। बता दें कि पहले से दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 सदस्यीय हाई पावर्ड कमेटी का गठन किया गया था।

इस कमेटी को किसानों से एमएसपी और दूसरे मुद्दों पर बातचीत करने का निर्देश दिया गया था और पैनल से किसानों से बैरिकेडिंग हटाने के लिए बातचीत करने को भी कहा गया था। इसके साथ ही, कोर्ट ने किसानों से यह भी कहा था कि वे अपने आंदोलन का राजनीतिकरण न करें और अपनी बैठकों में अनुचित मांगें न रखें।

ALSO READ -  एक चालाक अभियुक्त प्रभावी रूप से उसके खिलाफ किसी भी कार्यवाही को रोकने में सक्षम हो जाएगा - सुप्रीम कोर्ट

हाईवे ब्लॉक करना मूलभूत अधिकारों के खिलाफ-

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाते हुए किसानों को कानून और व्यवस्था का पालन करने का आदेश देने का भी मांग किया था। याचिकाकार्ता की दलील थी कि हाईवे को इस तरह ब्लॉक करना लोगों के मूलभूत अधिकारों के खिलाफ है। साथ ही, इसे राष्ट्रीय राजमार्ग कानून और भारतीय न्याय संहिता के तहत अपराध बताया गया था।

याचिकाकर्ता ने रास्ता बंद करने को अपराध मानते हुए कानूनी कार्रवाई की भी मांग की थी। रविवार को प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली कूच की मांग को बीच में ही स्थगित कर दिया था। ये सब कुछ हरियाणा पुलिस की ओर से आंसू गैस के गोले और वाटर कैनन के इस्तेमाल के बाद हुआ।

जानकरी हो की इसी बरस 2024 फरवरी महीने में हरियाणा की सरकार ने पंजाब से लगे हुए शंभू बॉर्डर को बंद कर दिया था। इसके पीछे का मकसद ये था कि किसान दिल्ली कूच न कर सकें। किसान 2020 में ऐतिहासिक आंदोलन कर चुके हैं जिसके बाद सरकार को तीन कृषि कानूनों को रद्द करना पड़ा था।

किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य से लेकर अपनी जमीनों के मुआवजा के लिए आंदोलनरत हैं। केन्द्र सरकार में मंत्री और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर किसानों के शंभू बॉर्डर पर बैठ जाने को बड़ी समस्या कह चुके हैं। जबकि किसान इसे अपने अधिकार की लड़ाई कहते रहे हैं।

Translate »
Scroll to Top