supreme court शीर्ष अदालत ने 23 वर्षीय महिला से बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी।
मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति एनवी रमाना, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ के समक्ष अधिवक्ता प्रशांत शुक्ला ने सुनवाई के दौरान प्रस्तुत किया कि एफआईआर में स्पष्ट आरोप हैं कि आरोपी ने महिला की नग्न तस्वीरें लीं।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने वकील से प्रश्न किया कि–
“आप दावा कर रही हैं कि उसने दो साल तक आपका यौन शोषण किया और आप दो साल तक चुप रहीं?”
अधिवक्ता प्रशांत शुक्ला ने कहा,
“शादी का बहाने किया। वह मुझसे 11 साल बड़ा है। वह केंद्र सरकार का कर्मचारी है।”
बेंच ने कहा-
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने यह देखने में गलती की कि “उसके यौन शोषण के दो साल के अपराध के बावजूद उसने किसी से शिकायत नहीं की। उसने जब आरोपी ने शादी करने से इनकार कर दिया तो उसने एक शिकायत दर्ज कराई। फिर उसे जमानत पर रिहा कर दिया।”
हाईकोर्ट की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा-
“वह चुप रही, क्योंकि आरोपी ने नशे की हालत में उसे मिलावटी कॉफी देकर उसके साथ जबरन बलात्कार करने के बाद उसकी नग्न तस्वीरें ली और वीडियो बनाई।”
हाईकोर्ट ने आरोपी को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि –
“अभियोक्ता की उम्र लगभग 23 वर्ष है। दो साल तक उसके यौन शोषण के अपराध और आवेदक-आरोपी के शादी करने से इनकार करने के बावजूद, उसने किसी से शिकायत नहीं की। उसने एक रिपोर्ट दर्ज कराई। आवेदक/अभियुक्त एक केंद्र सरकार का कर्मचारी है। इन तथ्यों और परिस्थितियों में यह न्यायालय आवेदक को अग्रिम जमानत पर रिहा करना चाहता है।इसलिए, आवेदन की अनुमति है।”
अधिवक्ता दिव्येश प्रताप सिंह के माध्यम से दायर विशेष अनुमति याचिका के अनुसार, आरोपी पहले से याचिकाकर्ता महिला से परिचित था। उसे अपने फ्लैट में ले गया, जहां उसकी कॉफी में नींद की गोली मिलाकर नशे की हालत में उसके साथ बलात्कार किया।
आरोप लगाया गया कि आरोपी ने उसकी नग्न तस्वीरें और वीडियो भी लिए। उसे धमकी दी कि अगर उसने इस घटना के बारे में किसी को बताया तो वह उसे बदनाम कर देगा।
याचिकाकर्ता के अनुसार, आरोपी ने उससे आगे कहा कि अगर वह उसके साथ सहयोग करेगी तो वह उससे शादी करेगा और उसकी प्रतिष्ठा को बचाएगा। दो साल तक वह शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म करता रहा और जब उसने शादी की मांग की तो वह उसे टालता रहा।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने इस तथ्य की सराहना किए बिना आरोपी को अग्रिम जमानत देने में गलती की कि आरोप पत्र अभी तक दायर नहीं किया गया। उसके पास अभी भी याचिकाकर्ता की अंतरंग तस्वीरें और वीडियो हैं।