परिवार के तीन सदस्यों को उम्रकैद: 10 वर्षीय बच्ची की हत्या और शव छिपाने का दोष सिद्ध

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बरेली जिले में एक हृदयविदारक घटना में माता-पिता और बुआ ने मिलकर 10 वर्षीय बच्ची की हत्या कर उसके शव को घर में ही छिपा दिया। इस अपराध का खुलासा तब हुआ जब बुआ के बेटे ने आरोपितों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई और कोर्ट में उनके खिलाफ गवाही दी। अपर सत्र न्यायाधीश-6 अरविंद कुमार ने तीनों आरोपितों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।

हत्या का खुलासा और पुलिस जांच

इस मामले की प्राथमिकी सेरामऊ निवासी सूरज ने थाना इज्जतनगर में दर्ज कराई थी। सूरज, जिसकी उम्र लगभग 15 वर्ष है, अपने बचपन से ही अपने मामा के घर रह रहा था और एक ठेकेदार के यहां बढ़ई का काम करता था।

घटना: 20 अगस्त 2020

20 अगस्त 2020 को सूरज के मामा रवि बाबू को करामत ठेकेदार का फोन आया कि उनके घर की पालतू कुतिया की मृत्यु हो गई है और उसे घर से बाहर फेंकना है। सूरज जब मामा के घर पहुंचा तो उसने कुतिया को बाहर फेंक दिया। लेकिन जब वह दोबारा लौटा, तो उसने देखा कि उसके मामा रवि बाबू, मां राधा देवी और मामी रितु, उसकी ममेरी बहन काजल के शव को घर के एक कमरे में खुदे गड्ढे में दबा रहे थे।

जब सूरज ने उनसे इस बारे में पूछा, तो आरोपितों ने बताया कि काजल तख्त पर बैठी हुई थी, अचानक गिर गई और उसकी मृत्यु हो गई। इसलिए उन्होंने शव को दफना दिया। लेकिन सूरज को यह कहानी संदिग्ध लगी। तीन दिन बाद वह थाना इज्जतनगर पहुंचा और पूरी घटना की जानकारी पुलिस को दी।

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शव की बरामदगी और सबूतों का खुलासा

पुलिस ने सूचना मिलते ही बच्ची का शव घर के भीतर खुदे गड्ढे से बरामद किया। शव पूरी तरह मिट्टी में सना हुआ था। इसके अलावा, पुलिस ने घटनास्थल से खून से सनी छुरी और डंडा भी बरामद किया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्ची के शरीर पर 15 गंभीर चोटों के निशान मिले। उसकी कलाई की हड्डी दो जगह से टूटी हुई थी और शरीर पर कई घाव थे, जिससे साफ हुआ कि यह हत्या थी।

अदालत में सुनवाई और दोष सिद्ध

अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी सचिन जायसवाल ने इस मामले में सात गवाह पेश किए। बचाव पक्ष ने आरोप लगाया कि सूरज ने ही बच्ची की हत्या की है और वह अपने परिवार को फंसाने का प्रयास कर रहा है। इस पर अदालत ने सवाल किया कि यदि ऐसा था तो आरोपितों ने बच्ची की मौत की सूचना पुलिस को क्यों नहीं दी?

आरोपितों के पास इन सवालों का कोई संतोषजनक जवाब नहीं था। अदालत ने सूरज की गवाही को निर्णायक मानते हुए माता-पिता और बुआ को दोषी ठहराया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई।

सजा और दंडादेश

अदालत ने तीनों दोषियों पर 90,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। इस जुर्माने की आधी राशि वादी सूरज को दी जाएगी। इस निर्णय के साथ, अदालत ने स्पष्ट संदेश दिया कि निर्दोष बच्चों के खिलाफ किए गए अपराधों को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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