बॉम्बे उच्च न्यायलय ने बलात्कार आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह अपराध ‘अंतरात्मा को झकझोरने वाला’ और ‘घृणित’ है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने 10 साल की उम्र की बच्चे के साथ बार-बार बलात्कार किया और इस वारदात के कारण वह नाबालिग लड़की अनियंत्रित यौन इच्छाओं का शिकार हो गई.
न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ ने सोमवार को अपने फैसले में कहा कि पीड़िता की मानसिक, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्थिति और आरोपी के हाथों उसके साथ हुई घटना के प्रभाव को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि कृत्य की ‘भयावह प्रकृति’ के कारण, लड़की ‘अनियंत्रित यौन इच्छाओं का शिकार बन गई’. मेरियम-वेबस्टर इस शब्द को ‘ऐसी महिला के रूप में परिभाषित करता है, जिसमें यौन क्रियाकलापों की अत्यधिक इच्छा होती है.’
न्यायमूर्ति चव्हाण ने कहा कि आरोपी को जमानत देना ‘पीड़िता के जख्मों को और गहरा करने और उन्हें और गहरा करने’ के समान होगा, जो अभी भी उसके मन, शरीर और आत्मा में ताजा हैं.
संक्षिप्त मामला-
पीड़िता के माता-पिता द्वारा दर्ज की गई शिकायत के अनुसार, आरोपी और उसकी पत्नी ने लड़की के पिता के दुबई में काम करने के कारण दूर रहने का फायदा उठाया. माता-पिता ने दावा किया कि उन्हें अपराध के बारे में 2021 में ही पता चला, जब उन्हें अपनी बेटी की डायरी उसके कमरे से मिली उस समय वह 17 वर्ष की थी. इसमें उसने लिखा था कि वह व्यक्ति क्लास चार में पढ़ने के समय से उसका यौन शोषण कर रहा था और उसकी पत्नी को इसके बारे में पता था.
आरोपी शख्स की पत्नी को एक विशेष अदालत ने जमानत दे दी थी. उसके पति की याचिका खारिज कर दी गई थी, जिसके बाद उसने हाईकोर्ट का रुख किया था. आरोपी की पत्नी के बारे में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उल्लेख किया कि उसने ‘जानबूझकर अवैध कृत्यों में सहायता की और उसे बढ़ावा दिया और वह भी समान रूप से दोषी प्रतीत होती है.’
डायरी का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने काफी पहले ही अपनी मां को इसकी जानकारी दे दी थी, लेकिन मां ने ‘सामाजिक कलंक’ के कारण कोई कार्रवाई नहीं की.