यूट्यूबर फेलिक्स जेराल्ड ने तमिलनाडु पुलिस पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर आरोप लगाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में 1 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है। उनका कहना है कि पुलिस ने उन्हें गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया, जिसमें उनके अधिकारों का हनन हुआ है।
जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए जेराल्ड को उनके दावे के समर्थन में और दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
फेलिक्स जेराल्ड का दावा है कि 10 मई की रात करीब 11 बजे, जब वे दिल्ली में थे, तो उन्हें अज्ञात लोगों ने जबरन उठा लिया, जो बाद में तमिलनाडु पुलिस के अधिकारी निकले। उन्हें न तो एफआईआर की कॉपी दी गई और न ही गिरफ्तारी का कोई आधार बताया गया। पुलिस ने उनके परिवार को भी इस कार्रवाई की सूचना नहीं दी। इसके बाद, पुलिस ने उन्हें उनकी गिरफ्तारी के 66 घंटे बाद 13 मई को त्रिची की एक अदालत में पेश किया।
फेलिक्स जेराल्ड को उनके यूट्यूब चैनल “RedPix 24×7” पर एक अन्य यूट्यूबर सवुक्कू शंकर का “आपत्तिजनक” इंटरव्यू प्रसारित करने के आरोप में तमिलनाडु पुलिस ने गिरफ्तार किया गया था। इस इंटरव्यू में मद्रास हाई कोर्ट और तमिलनाडु की महिला पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई थीं।
मद्रास हाई कोर्ट ने 31 जुलाई को फेलिक्स जेराल्ड को जमानत दे दी, लेकिन साथ ही उनके यूट्यूब चैनल को बंद करने का आदेश दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के इस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद से चैनल बंद नहीं हुआ। अब जेराल्ड ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए तमिलनाडु पुलिस के खिलाफ न्याय की मांग की है और दावा किया है कि पुलिस ने उन्हें प्रताड़ित किया है।
जेराल्ड के वकीलों, सूर्य प्रकाश और अविनाश कुमार, ने याचिका में तमिलनाडु सरकार और पुलिस अधिकारियों से 1 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है। याचिका में दावा किया गया है कि पुलिस द्वारा उनके साथ किए गए व्यवहार से उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
बता दें कि फेलिक्स जेराल्ड का यूट्यूब चैनल है, जिस पर उन्होंने पत्रकार और यूट्यूबर सवुक्कू शंकर का एक इंटरव्यू प्रसारित किया था। इस इंटरव्यू में सवुक्कू शंकर ने मद्रास हाई कोर्ट और तमिलनाडु की महिला पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। 30 अप्रैल को प्रसारित इस इंटरव्यू के बाद, कोयंबटूर पुलिस ने 4 मई को शंकर को महिला पुलिसकर्मियों के खिलाफ की गई टिप्पणियों के आधार पर गिरफ्तार कर लिया। इसके साथ ही, जेराल्ड के यूट्यूब चैनल को भी एफआईआर में शामिल कर दिया गया था।
जेराल्ड का आरोप है कि पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के 66 घंटे बाद 13 मई को त्रिची की एक अदालत में पेश किया. मद्रास हाई कोर्ट ने 31 जुलाई को उन्हें जमानत दे दी थी, लेकिन यूट्यूब चैनल बंद करने का निर्देश दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।
अब दिल्ली हाई कोर्ट में जेराल्ड ने तमिलनाडु पुलिस के खिलाफ “मानवाधिकार उल्लंघन” का आरोप लगाते हुए न्याय की मांग की है। इस मामले में अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी.शंकर को महिला पुलिसकर्मियों के खिलाफ की गई टिप्पणियों के आधार पर गिरफ्तार कर लिया था। जेराल्ड के यूट्यूब चैनल को भी FIR में आरोपी बनाया गया था। जेराल्ड की याचिका में यह सवाल भी उठाया गया है कि क्या पुलिस द्वारा किसी भी व्यक्ति को बिना उचित जानकारी और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए बिना हिरासत में लेना कानून और संविधान के अनुरूप है।