युवाओं में तेज़ी से बढ़ रही है सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की बीमारी , जानिये बचने के उपाय

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस गर्दन से नीचे रीढ़ की हड्डियों में लंबे समय तक कठोरता कड़ापन होने, तथा गर्दन या कंधों में दर्द के साथ सिर में दर्द होने की समस्या को कहते हैं. यह दर्द धीमी गति से कंधे से आगे बाजू तथा हथेलियों तक बढ़ जाता है. एक शोध के अनुसार हमारे देश में हर पांचवें भारतीय को स्पाइन से संबंधित किसी न किसी प्रकार की समस्या है. पहले ये समस्या बुज़ुर्गो में ज्यादा देखी जाती थी. लेकिन पिछले एक दशक में युवाओं में यह समस्या 60 प्रतिशत तक बढ़ी हैं. युवाओं में ही नहीं, बच्चों और किशोरों में भी गैजेट्स के अत्यधिक इस्तेमाल से सर्वाइकल स्पाइन से संबंधित समस्याएं हो रही हैं,जिसमें सर्वाइकल स्पॉन्डोलाइटिस प्रमुख है.

डॉ मनीष वैश्य कहते हैं सर्वाइकल स्पॉन्डोलाइटिस की समस्या स्पाइन के सबसे ऊपरी भाग सर्वाइकल स्पाइन में होती है तो उसे सर्वाइकल स्पॉन्डोलाइटिस कहते हैं. यह एक क्रॉनिक कंडीशन है, जो कईं वर्षों तक या उम्रभर रहती है, लेकिन कईं लोगों में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, जब तक की रीढ़ की हड्डी में विकृति आने के कारण सेकेंडरी काम्पलिकेशंस नहीं हो जाये.उपचार इसपर निर्भर करता है कि आपकी समस्या कितनी गंभीर है. इसका उद्देश्य दर्द और कड़ेपन से आराम देना, लक्षणों को गंभीर होने से बचाना,संभावित जटिलताओं को रोकना और स्पाइनल विकृति के खतरे को कम करना है. मेडिकेशन और फिजिकल थेरेपी भी दर्द में आराम पहुंचाती है.

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