नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने डिजिटल मुद्रा पर ध्यान केंद्रित किया है जिसके चलते आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि आरबीआई खुद की डिजिटल करेंसी को लाने का काम शुरू कर चूका है। यह करेंसी पूरी तरह क्रिप्टोकरेंसी से अलग होगी।
भारतीय रिजर्व बैंक की योजना है कि देश में डिजिटल करेंसी शुरू करने से बैंक धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है और ऋण देने की प्रक्रिया सहित वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ सकती है। RBI द्वारा अगस्त में जारी वार्षिक रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में भारत में बैंकिंग धोखाधड़ी के मामलों में 159% की वृद्धि हुई, जो एक साल पहले की तुलना में 2.5 गुना अधिक है।
ब्लॉकचैन और साइबर सिक्योरिटी, टेक महिंद्रा के राजेश धुडु ने कहा कि ऑनलाइन बैंकिंग, UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) या RTGS (रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) जैसी सुविधा होने के बावजूद भी लोगों के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया है। क्योंकि सिस्टम में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे आप ट्रांजेक्शन को मॉनिटर कर पाएं। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक किए जा रहे पेमेंट कुछ नहीं बस पेपर करेंसी का डिजिटल वर्जन है।