कोरोना काल में कर्मचारियों का शोषण, “फायर एंड री- हायर” नीति से परेशान ब्रिटेन 

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लंदन : कोरोना महामारी के चलते विश्व भर में हर तरह की समस्याओं का सामना करना पद रहा है जिसमें सबसे  निजीकरण कंपनियों की मनमानी। सभी देशों को  इस संक्रमण के दौर में आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। जिसकी कड़ी में ब्रिटेन भी है। इस बीच ब्रिटेन के नियोक्ताओं पर आरोप लगा है कि वे आर्थिक क्षति से उबरने के लिए विवादास्पद उपाय फायर एंड री-हायर की नीति जारी कर रहे हैं। आपको बता दें फायर एंड री-हायर एक ऐसी नीती है जिसमें पहले तो कर्मचारियों को नौकरी से निकला जाता है फिर उन्हें काम वेतन देकर अपनी शर्तों पर कम्पनी वापस नॉक्टि देती है। 

इस नीति की वजह से वो कर्मचारी परेशान होते हैं जो की आर्थिक तौर पर कमज़ोर होते हैं। जिनके पास  दुसरी नौकरी पाने का अवसर नहीं होता।  उन्हें नियोक्ता की मनमानी शर्तों या फिर पहले से कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। पिछले माह अप्रैल में जब ब्रिटिश गैस के कर्मचारियों ने नए अनुबंधों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया तब कंपनी ने अपने करीब 500 इंजीनियरों को बर्खास्त कर दिया था।
इस नीति के आने के बाद से ब्रिटिश एयरवेज के कर्मचारियों का भी प्रस्तावित फायर एंड री-हायर नीति को लेकर राष्ट्रीय एयरलाइन के प्रबंधन के साथ विवाद हुआ. 
ब्रिटेन में इस नीति को हटाने की मांग कर्मचारियों द्वारा की गई है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन जबकि इसे अस्वीकार्य किया है। यहां के कुछ ट्रेड यूनियन और मुख्य विपक्षी लेबर पार्टी इस नीति पर प्रतिबंध की मांग कर रहे हैं।  फायर एंड री-हायर नीति आर्थिक तौर पर परेशां लोगो के लिए बेहद चिंता का विषय बन गई है। 

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ट्रेड यूनियन कांग्रेस के छात्र समूह ने 2,231 श्रमिकों पर सर्वेक्षण किया, जिसमें उन्होंने पाया कि इस नीति के कारण 10 में से एक श्रमिक को बदतर परिस्थितियों या फिर बर्खास्तगी को देखना पड़ा है। 

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