द वायर की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस अरुण मिश्रा का एक पुराना मोबाइल नंबर इजरायली स्पाइवेयर पेगासस की संभावित लक्ष्यों की सूची में शामिल था।
द वायर द्वारा जारी रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सूची में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के दो अधिकारियों के मोबाइल नंबर भी पेगासस की संभावित लक्ष्यों की सूची में शामिल था। रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए जस्टिस अरुण मिश्रा के नाम पर पंजीकृत राजस्थान का एक मोबाइल नंबर 2019 में डेटाबेस में जोड़ा गया था।
गौरतलब है की बीएसएनएल के सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि यह नंबर 18 सितंबर 2010 से 19 सितंबर 2018 तक जस्टिस अरुण मिश्रा के नाम पर पंजीकृत था।
न्यूजपोर्टल द वायर ने पुष्टि के लिए न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा से संपर्क किया, जो वर्तमान में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हैं। उन्होंने जवाब दिया कि नंबर +9194XXXXXXX 2013-2014 से मेरे पास नहीं है। मैं इस नंबर का उपयोग नहीं कर रहा हूं।
द वायर रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्री अधिकारियों एनके गांधी और टीआई राजपूत के मोबाइल नंबर, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, सूची में शामिल हैं।
जारी सूची में तीन वकीलों के नाम भी बताए जा रहे हैं। वे एडवोकेट अल्जो जोसेफ और एडवोकेट विजय अग्रवाल हैं, जिन्होंने अगस्ता वेस्टलैंड के आरोपी क्रिश्चियन मिशेल और पीएनबी घोटाले के आरोपी नीरव मोदी की ओर से पेश हुए थे।
द वायर के अनुसार सूची में पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के चैंबर में कार्यरत जूनियर वकील एम. थंगथुराई का भी नाम बताया जा रहा है।
द वायर की रिपोर्ट में कहा गया है कि उनके स्मार्टफोन की फोरेंसिक जांच के बिना यह स्थापित करना असंभव है कि क्या वे केवल रुचि के व्यक्ति हैं या वास्तव में घुसपैठ की निगरानी के अधीन हैं।
पेगासस विवाद 18 जुलाई को द वायर और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों द्वारा मोबाइल नंबरों के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित करने के बाद शुरू हुआ।
द वायर की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली महिला कर्मचारी और परिवार के कुछ सदस्यों को पेगासस जासूसी के संभावित लक्ष्य के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
द वायर के अनुसार, 40 भारतीय पत्रकार, राहुल गांधी जैसे राजनीतिक नेता, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, ईसीआई के पूर्व सदस्य अशोक लवासा आदि को लक्ष्य की सूची में बताया गया है।
द वायर की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और उनके परिवार के कुछ सदस्यों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली महिला कर्मचारी को पेगासस जासूसी के संभावित लक्ष्य के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
न्यायपालिका के खिलाफ संभावित हमले की ये चौंकाने वाली रिपोर्ट विशेष रूप से प्रासंगिक हैं क्योंकि भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ पेगासस विवाद की न्यायिक या एसआईटी जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर आज यानी गुरूवार को सुनवाई करेगी।
पेगासस निगरानी सूची में शामिल होने वाले पांच पत्रकारों ने इस मुद्दे की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में स्वतंत्र रिट याचिका दायर की है।
राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास, अनुभवी पत्रकार एन राम और शशि कुमार, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और एडवोकेट एमएल शर्मा ने भी इसी तरह की मांगों के साथ जनहित याचिका दायर की है।
वहीँ भारत सरकार ने अभी तक पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग लोगों की निगरानी के लिए करने से इनकार नहीं किया है।