जानिये सप्ताह भर के व्रत त्यौहार, क्या है उनका महत्त्व ? 

जानिये सप्ताह भर के व्रत त्यौहार, क्या है उनका महत्त्व ? 

इस माह की शुरुआत फाल्गुन की कृष्ण पक्ष दसमी तिथि और अमृत काल तिथि से हुई है। इस सप्ताह की शुरुआत ही भगवान विष्णु का प्रिय व्रत एकादशी से हुई। कल 9 मार्च को विजया एकादशी का व्रत किया जायेगा। आपको बतादें कि इस व्रत के करने से हर क्षेत्र में विजय मिलती है। इस व्रत के बाद भगवान् शिव का प्रदोष किया जाता है। यह भगवान शिव का अत्यंत प्रिय दिन मन जाता है। विजया एकादशी और महाशिवरात्रि के बाद इस सप्ताह शनैश्चरी अमावस्या का महत्वपूर्ण दिन आएगा। इसके साथ सप्ताह के अंत में खरमास प्रारंभ हो जाएंगे। इतना ही नहीं बल्कि इस ही सप्ताह में नक्षत्र अपनी चाल बदल रहे हैं।  

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विजया एकादशी (9 मार्च दिन मंगलवार) 

हिंदू पंचांग के आधार पर फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी व्रत कहा जाता है। हमारे शास्त्रों में एकादशी महत्व बहुत ऊपर माना गया है।  महाभारत काल में श्री कृष्ण जी ने अर्जुन एवं धर्मराज युधिष्ठिर को इस एकादशी के व्रत के बारे में बता कर के यह व्रत करने का आदेश दिया था। पौराणिक कथाओं के आधार पर यह एकादशी व्रत किसी भी युद्ध में विजय प्राप्त कराने की मनोकामना को पूर्ण करने में सफलता देता है।

 प्रदोष व्रत (10 मार्च दिन बुधवार)

बुध प्रदोष व्रत को करने से उत्तम बुद्धि की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यता की मानें तो यह व्रत प्रति माह त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। लेकिन अगर ये व्रत बुधवार के दिन पढता है तो इसे बुध प्रदोष व्रत कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि अपनी संतान के लिए यह व्रत करने से उसकी अच्छी सेहत और दिमाग तेज़ होने की मन्नत पूरी होती है।

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 महाशिवरात्री (11 मार्च दिन गुरूवार) 
महाशिवरात्रि व्रत पौराणिक मान्यताओं से बेहद उत्तम और फलप्राप्ति वाला व्रत है। कृष्णा पक्ष की चतुर्दशी के दिन यह व्रत किया जाता है। कई जगह मान्यता है कि इस दिन भगवान् शिव शवलिंग रूप में प्रकट हुए थे जबकि कई जगह इस दिन को शिव पार्वती के विवाह के दिन के रूप में मनाया जाता है। 

शनेश्चरी अमावस्या ( 13 मार्च दिन शनिवार)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ये तिथि प्रति माह आती है। 2021 में 13 मार्च को शनैश्चरी अमावस्या है और 4 दिसंबर को भी या तिथि पड़ेगी। इस दिन जो लोग शनि प्रकोप से टत्रस्त हैं उन्हें खुश करने को पूजा अर्चना कर सकते हैं , और जिन्हें साढ़े साती और शनि की ढय्या का प्रभाव है उन्हें भी पूजा करनी चाहिए। 

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