नई दिल्ली । देवभूमि उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा के बाद समुद्री तल से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी कृत्रिम झील का खतरा अभी भी बना हुआ है। जिसकी गहराई नापने के लिए नौसेना और वायुसेना ने ऑपरेशन शुरू किया है। नौसेना के गोतोखोरों की टीम ने झील की गहराई नापने का चुनौतीपूर्ण काम किया है। अब वैज्ञानिक बांध की मिट्टी की दीवार पर दबाव का निर्धारण करने के लिए इस महत्वपूर्ण डेटा का उपयोग करेंगे।
तपोवन से करीब 15 किमी. ऊपर बनी कृत्रिम हिमनद झील से उत्पन्न खतरे का आकलन करने के लिए एसडीआरएफ की टीम वहां डेरा डाले हुए है। अभीतक इस झील की गहराई नहीं नापी जा सकी है जिससे इससे होने वाले खतरों का आकलन किया जा सके। 17 फरवरी को डीआरडीओ के 3 वैज्ञानिकों का एक दल एसडीआरएफ के साथ गया था जो अभी भी झील इलाके में रुका हुआ है। एसडीआरएफ की टीम ने पानी का दबाव कम करने के लिए झील के मुहाने को आइस एक्स के माध्यम से खोला। साथ ही वापसी के दौरान टीम ने बीहड़ एवं ग्लेशियर वाले स्थानों पर रोप, हुक भी बांधकर छोड़ दिए जिससे आनेवाली दूसरी टीमों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े।